मालेगांव बम धमाके मामले में आरोपियों की बरी होने पर राजनीतिक हलचल
मालेगांव धमाके का मामला और अदालत का फैसला
मालेगांव बम धमाके के मामले में हाल ही में अदालत द्वारा आरोपियों को बरी किए जाने के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। इस निर्णय ने न केवल आरोपितों की छवि को पुनर्स्थापित किया है, बल्कि देश के सांप्रदायिक और राजनीतिक माहौल पर भी गहरा प्रभाव डाला है। 2008 में मालेगांव में हुए इस विस्फोट ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जिसमें छह लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए थे। प्रारंभ में 14 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, लेकिन अंततः केवल सात आरोपियों को ही मुकदमे का सामना करना पड़ा। हाल ही में, मुंबई की एक विशेष अदालत ने इन सात आरोपियों को बरी कर दिया, जिससे लगभग सत्रह साल की कानूनी लड़ाई का अंत हुआ।भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने इस फैसले को एक बड़ी जीत के रूप में देखा है। उन्होंने इसे सनातन धर्म और राष्ट्रभक्तों की विजय बताया, साथ ही कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘भगवा आतंकवाद’ और ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसे शब्द कांग्रेस ने ही गढ़े थे, जिन्हें अदालत ने कलंकित करार दिया। उनका यह बयान राजनीतिक संवाद में नया उत्साह भर रहा है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदू समुदाय पर लगाए गए झूठे आरोप अब समाप्त हो गए हैं। उन्होंने कांग्रेस से माफी मांगने की अपील की, क्योंकि उनका मानना है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि ‘हिंदू आतंकवाद’ का शब्द देशभक्तों को बदनाम करने के लिए बनाया गया था। शिंदे ने कहा कि शिवसेना ने हमेशा उन लोगों का समर्थन किया है, जिन्हें इस मामले में झूठे आरोपों का सामना करना पड़ा। उन्होंने आरोपितों को हुई मानसिक और शारीरिक पीड़ा को स्वीकार करते हुए कहा कि हिंदू समाज इसे कभी नहीं भूलेगा। यह बयान सामाजिक भावनाओं को छू रहा है और विभिन्न वर्गों में गहरी संवेदना पैदा कर रहा है।