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मालेगांव विस्फोट 2008: साध्वी प्रज्ञा के वकील का बड़ा बयान

मालेगांव विस्फोट 2008 मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील जेपी मिश्रा ने कोर्ट के फैसले को मनगढ़ंत और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि अदालत ने जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया। इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है, जिससे राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बहस छिड़ गई है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और कोर्ट के फैसले की अहम बातें।
 

मालेगांव विस्फोट मामले में नया मोड़

Malegaon blast case 2008: मालेगांव विस्फोट 2008 के मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील जेपी मिश्रा ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि अदालत का निर्णय यह दर्शाता है कि पूर्व बीजेपी सांसद के खिलाफ मामला पूरी तरह से मनगढ़ंत और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित था। मिश्रा ने यह भी बताया कि उनका रुख इस मामले में शुरू से ही यही था। साध्वी प्रज्ञा के वकील ने इस फैसले को संतुलित और अद्वितीय करार दिया।


कोर्ट ने जांच के आदेश दिए

मिश्रा ने आगे कहा कि जब अदालत ने उनके मामले की सुनवाई की, तो उसे यह समझ में आया कि उनकी दलीलें एक मनगढ़ंत मामले के खिलाफ थीं। उन्होंने बताया कि अदालत ने पूरी संतुष्टि के बाद जांच के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही, अदालत ने विस्फोट में मारे गए लोगों के परिजनों को न्याय दिलाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। अदालत ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने का आदेश दिया।


भगवा आतंक की कहानी पर सवाल

क्यों रची गई भगवा आतंक की कहानी?


साध्वी के वकील ने भगवा आतंक की कहानी की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कहानी 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक कारणों से बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि सभी आतंकी गतिविधियों में एक विशेष धर्म के लोगों को शामिल किया गया था और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए था। ऐसे में संतुलन बनाने के लिए निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन लोगों ने कई आतंकी हमलों में हिंदुओं को दोषी ठहराकर भगवा आतंक के प्रचार को सही ठहराने की कोशिश की।


फैसला सुनाते समय जज की टिप्पणी

फैसला सुनाते समय जज ने क्या कहा?


मुंबई की एनआईए कोर्ट ने गुरुवार को 2008 में मालेगांव में हुए विस्फोटों में शामिल सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा, सुधाकर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी जैसे लोग शामिल थे। जज अभय लाहोटी ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह साबित किया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस बाइक में बम रखा गया था। मामले में पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि वह इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।