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मिडिल ईस्ट में ईरान-इजराइल तनाव: मुस्लिम देशों की चुप्पी का रहस्य

मिडिल ईस्ट में ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव ने पूरे क्षेत्र को संकट में डाल दिया है। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे मुस्लिम देश आपसी धार्मिक और राजनीतिक टकराव के कारण इजराइल के खिलाफ एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। ईरान और सऊदी अरब के बीच की प्रतिस्पर्धा, प्रॉक्सी युद्ध और आंतरिक संघर्षों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। जानें इस जटिल परिदृश्य के पीछे के कारण और इसके संभावित परिणाम।
 

मिडिल ईस्ट में तनाव का बढ़ता स्तर

मिडिल ईस्ट में ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव ने पूरे क्षेत्र को संकट में डाल दिया है। एक तरफ इजराइल है, जो ईरान पर लगातार सैन्य दबाव बना रहा है, वहीं दूसरी ओर सऊदी अरब, तुर्की, जॉर्डन, यूएई और कुवैत जैसे प्रमुख सुन्नी देश हैं, जो ईरान का खुलकर समर्थन नहीं कर रहे हैं।


धार्मिक प्रतिस्पर्धा का प्रभाव

यह टकराव केवल इजराइल या फिलिस्तीन तक सीमित नहीं है, बल्कि मिडिल ईस्ट में शिया-सुन्नी तनाव इसकी जड़ में है। ईरान खुद को शिया इस्लाम का रक्षक मानता है, जबकि सऊदी अरब सुन्नी इस्लाम का नेतृत्व करता है। यह धार्मिक प्रतिस्पर्धा दोनों देशों के बीच विरोधाभास को बढ़ाती है।


सऊदी अरब और ईरान के बीच क्षेत्रीय संघर्ष

1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति के बाद, ईरान ने शिया गुटों को मजबूत करना शुरू किया, जिससे सऊदी अरब ने सुन्नी गुटों का समर्थन करना शुरू किया। यही कारण है कि यमन, सीरिया, लेबनान और बहरीन में सऊदी और ईरान के बीच प्रॉक्सी युद्ध चल रहे हैं।


यमन, सीरिया और इराक में संघर्ष

यमन में ईरान समर्थित शिया हूती विद्रोहियों और सऊदी समर्थित सरकार के बीच संघर्ष जारी है। सीरिया में भी ईरान बशर अल-असद और हिज्बुल्लाह का समर्थन कर रहा है, जबकि सऊदी अरब और तुर्की विद्रोहियों का समर्थन कर रहे हैं। इराक में शिया बहुल सरकार होने के बावजूद, सुन्नी चरमपंथी संगठन ISIS ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।


बहरीन, यूएई और कुवैत की स्थिति

बहरीन में शिया जनसंख्या होने के बावजूद, सत्ता सुन्नी शासकों के हाथ में है। 2011 में शिया विद्रोह को ईरानी साजिश बताकर सऊदी ने हस्तक्षेप किया। यूएई ने यमन युद्ध में सऊदी का साथ दिया और ईरानी नीतियों का विरोध किया। कुवैत में भी ईरान के राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर चिंता बनी रहती है।


इजराइल के खिलाफ मुस्लिम देशों की चुप्पी

मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देश आपसी धार्मिक, राजनीतिक और रणनीतिक टकराव में इतने उलझे हुए हैं कि वे इजराइल जैसे बाहरी दुश्मन के खिलाफ भी एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। शिया-सुन्नी तनाव, प्रॉक्सी युद्ध, आंतरिक सिविल वॉर और आपसी अविश्वास ने ईरान को अकेला कर दिया है। यही कारण है कि इजराइल के सैन्य दबाव के बावजूद ईरान को खुला समर्थन नहीं मिल रहा।