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मुंबई की लोकल ट्रेनों में स्वचालित दरवाज़ों का नया युग: सुरक्षा में बड़ा सुधार

मुंबई के उपनगरीय रेल नेटवर्क में इस साल के अंत तक स्वचालित दरवाज़ों का सुधार होने जा रहा है, जो यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय रेल मंत्री ने इस पहल की पुष्टि की है, जिसमें सभी वातानुकूलित और गैर-वातानुकूलित ट्रेनों में स्वचालित दरवाज़े शामिल होंगे। यह सुधार न केवल दुर्घटनाओं में कमी लाएगा, बल्कि यात्रियों के लिए रेल यात्रा को और अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाएगा। जानें इस सुधार के पीछे की वजहें और इसके संभावित लाभ।
 

मुंबई में सुरक्षा सुधार की दिशा में कदम

मुंबई लोकल में स्वचालित दरवाज़े: मुंबई के उपनगरीय रेल नेटवर्क में इस वर्ष के अंत तक एक महत्वपूर्ण सुरक्षा सुधार होने जा रहा है, जिसमें सभी वातानुकूलित और गैर-वातानुकूलित ट्रेनों में स्वचालित दरवाज़े एक मानक सुविधा बन जाएंगे। यह निर्णय जून में मुंब्रा में हुई एक दुर्घटना के बाद लिया गया था, जिसमें एक भीड़भाड़ वाली ट्रेन से गिरने के कारण चार लोगों की जान चली गई थी।


केंद्रीय रेल मंत्री का बयान

घनसोली में केंद्रीय रेल मंत्री का बयान

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घनसोली में बुलेट ट्रेन-शिल्पाता सुरंग परियोजना के उद्घाटन के दौरान कहा कि सरकार की प्राथमिकता यात्री सुरक्षा है। उन्होंने बताया कि उपनगरीय ट्रेनों में स्वचालित दरवाज़ों को इस साल के अंत तक लागू किया जाएगा और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।


नई ट्रेनों का निर्माण

वर्तमान में, 238 नई पूर्ण वातानुकूलित ट्रेनों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें सभी में सेंसर-आधारित स्वचालित दरवाज़े होंगे। ये ट्रेनें पश्चिमी और मध्य रेलवे कॉरिडोर पर चलेंगी, जिससे शहर में एसी रेकों की सबसे बड़ी शुरुआत होगी। इसके साथ ही, गैर-एसी रेकों का भी क्रमिक उन्नयन किया जाएगा, ताकि सभी यात्रियों को समान सुरक्षा सुविधाएं मिल सकें।


इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में उत्पादन

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में रेकों का निर्माण

इन रेकों का निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, पहला रेक नवंबर में आने की उम्मीद है, जिसके बाद व्यापक स्तर पर तैनाती शुरू की जाएगी। इस स्वचालित प्रणाली को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि ट्रेन के रवाना होने से पहले दरवाज़ा बंद हो जाएगा और ट्रेन रुकने पर ही खुलेगा। इससे यात्रियों के बाहर धकेले जाने या चलती ट्रेन में चढ़ने के प्रयास को रोका जा सकेगा।


दुर्घटनाओं में कमी की उम्मीद

मुंबई के उपनगरीय रेल नेटवर्क पर प्रतिदिन औसतन आठ लोग अपनी जान गंवा देते हैं, जिनमें अधिकतर दुर्घटनाएं भीड़भाड़ और असुरक्षित बोर्डिंग के कारण होती हैं। स्वचालित दरवाज़ों के लागू होने से न केवल ऐसी दुर्घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि यात्रियों में सुरक्षित यात्रा की आदतों को भी बढ़ावा मिलेगा।

यह सुधार न केवल सुरक्षा को बढ़ाएगा, बल्कि उपनगरीय ट्रेनों के संचालन को भी आधुनिक और सुरक्षित बनाएगा। इससे मुंबई के यात्रियों के लिए रेल यात्रा अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनेगी और भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी।