मुंबई के प्रितेश मिश्री: टमाटर से बने जूतों की अनोखी कहानी
लेदर की मजबूती, जानिए कहानी
Tomatoes Leather, नई दिल्ली: यह सच है कि जब इरादे मजबूत हों और मेहनत की भावना हो, तो असंभव कुछ भी नहीं होता। मुंबई के 26 वर्षीय उद्यमी प्रितेश मिश्री ने टमाटर के अपशिष्ट से एक अनोखा और टिकाऊ विकल्प विकसित किया है। उनकी कंपनी, द बायो, ने ऐसा बायोलेदर तैयार किया है जो पूरी तरह से वीगन, बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण के अनुकूल है। आइए जानते हैं कि टमाटर से जूते बनाने की कहानी क्या है?
टमाटर के बेकार छिलकों से बनाया जाता है लेदर
भारत टमाटर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन हर साल लगभग 30-35% टमाटर बर्बाद हो जाते हैं। प्रितेश ने इन्हीं बेकार छिलकों और बीजों का उपयोग बायोलेदर बनाने में किया। इनमें मौजूद पेक्टिन और प्राकृतिक फाइबर लेदर जैसी मजबूती और बनावट प्रदान करते हैं।
स्थानीय किसानों और प्रोसेसिंग यूनिट्स से टमाटर वेस्ट एकत्र करती है कंपनी
सूरत में स्थित संयंत्र टीबीसी स्थानीय किसानों और प्रोसेसिंग यूनिट्स से टमाटर का अपशिष्ट एकत्र करता है। इसे बायोपॉलिमर्स, पौधों से बने बाइंडर्स और प्राकृतिक फाइबर के साथ प्रोसेस किया जाता है। नॉन-टॉक्सिक तकनीक से इसे लेदर जैसी बनावट मिलती है और पौधों पर आधारित कोटिंग इसे वॉटर-रेसिस्टेंट और टिकाऊ बनाती है।
बैग, जूते और जैकेट से लेकर ऑटोमोबाइल इंटीरियर्स तक हो रहा इस्तेमाल
आज बायोलेदर का उपयोग बैग, जूते, जैकेट और ऑटोमोबाइल इंटीरियर्स में किया जा रहा है। कनाडा की कई कंपनियां इसके उत्पाद तैयार कर चुकी हैं। एक ब्रांड की सीईओ नैटाशा मंगवानी का कहना है कि बायोलेदर पूरी तरह से पीयू और पीवीसी मुक्त है, जो इसे पारंपरिक सिंथेटिक लेदर से अलग बनाता है।
भविष्य की राह
वर्तमान में टीबीसी हर महीने लगभग 5,000 मीटर बायोलेदर का उत्पादन कर रही है। कंपनी का कहना है कि मांग बढ़ने पर उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाएगी, लेकिन गुणवत्ता और टिकाऊपन से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
कॉलेज प्रोजेक्ट से शुरू हुई यात्रा
प्रितेश ने बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई के दौरान इसे अपने फाइनल ईयर प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया। कानपुर की टेनरियों में प्रदूषण और खेतों में खाद्य अपशिष्ट को देखकर उन्होंने इसका समाधान खोजने का निर्णय लिया। महीनों के प्रयोग के बाद उन्होंने बायोलेदर का पहला प्रोटोटाइप तैयार किया। आज उनकी कंपनी के पास इस तकनीक का पेटेंट भी है।