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मुंबई में आईपीएस अधिकारी बनकर ठगी करने वाला गिरफ्तार

मुंबई में एक शातिर ठग को गिरफ्तार किया गया है, जिसने खुद को आईपीएस अधिकारी बताकर कई लोगों को ठगा। आरोपी के पास से नकली आधार कार्ड और चोरी किया हुआ मोबाइल फोन बरामद किया गया है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि आरोपी ने कितने लोगों को ठगा और उसके साथी कौन थे। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और आरोपी की गिरफ्तारी की कहानी।
 

मुंबई में ठग की गिरफ्तारी

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच की यूनिट 2 ने एक ऐसे ठग को पकड़ा है, जो खुद को सीनियर आईपीएस अधिकारी बताकर लोगों को ठगता था। आरोपी की पहचान संदीप नारायण गोसावी उर्फ संदीप कार्णिक उर्फ दिनेश बोदुलाल दीक्षित के रूप में हुई है। उसे 8 जुलाई को आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया गया।


आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 204, 318(1)(4), 319(1), 316(2), और 337 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है। पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि वह कई बार विभिन्न नामों और पहचान के साथ लोगों को ठग चुका है।


पुलिस ने आरोपी के पास से एक चोरी किया हुआ मोबाइल फोन और एक नकली आधार कार्ड भी बरामद किया, जिसमें आरोपी की तस्वीर और फर्जी नाम 'दिनेश बोदुलाल दीक्षित' लिखा था। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां उसे 11 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।


पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपी ने कितने लोगों को ठगा है, क्या उसके कोई साथी थे, और फर्जी दस्तावेज कैसे बनाए गए। जांच जारी है।


शिकायतकर्ता नाजिम कासिम ने बताया कि लगभग एक साल पहले उनकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई, जिसने खुद को सीनियर आईपीएस अधिकारी बताया और अपना नाम संदीप कार्णिक बताया। वह अक्सर नाजिम की दुकान पर आता था और दावा करता था कि मुंबई पुलिस कमिश्नर ऑफिस के कई अधिकारी उसे जानते हैं। इससे नाजिम का उस पर विश्वास बढ़ गया।


5 जून को आरोपी ने नाजिम से कहा कि वह नागपुर में अपनी कार में मोबाइल फोन भूल आया है और अस्थायी रूप से इस्तेमाल के लिए एक फोन मांगा। नाजिम ने भरोसे में आकर उसे अपना पुराना फोन दे दिया, लेकिन जब नाजिम ने अपना फोन वापस मांगा तो आरोपी ने बहाने बनाने शुरू कर दिए और धीरे-धीरे बातचीत बंद कर दी।


आरोपी ने यह भी वादा किया था कि वह फोन के बदले 14 हजार रुपये देगा, लेकिन उसने वह पैसा भी नहीं लौटाया। नाजिम को शक हुआ और जब उसने खुद जानकारी इकट्ठा की, तो पता चला कि वह व्यक्ति असली पुलिस अधिकारी नहीं है और उसने इस तरह से और भी लोगों को ठगा है।


7 जुलाई की रात नाजिम को सूचना मिली कि आरोपी पुलिस कमिश्नर कार्यालय के गेट नंबर 5 के बाहर मौजूद है। उसने तुरंत अपने जान-पहचान के पुलिस अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को वहीं से पकड़ लिया और क्राइम ब्रांच ऑफिस ले जाया गया।