मूंगफली की फसल: उपज और तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सही कटाई का महत्व
पौधों की वृद्धि और फलियों के विकास पर ध्यान देना आवश्यक
Peanut Cultivation, नई दिल्ली: मूंगफली की फसल की सिंचाई और कटाई का सही समय उपज और तेल की मात्रा को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। फसल के दौरान पौधों की वृद्धि और फलियों के विकास पर ध्यान देना किसानों की सफलता की कुंजी है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) ने किसानों को कटाई से पहले कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
फलियों का विकास और सिंचाई
मूंगफली की फसल में फलियों के विकास के लिए खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। यदि नमी की कमी होती है, तो फलियों की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, पौधों की वृद्धि की अवस्था के अनुसार समय-समय पर सिंचाई करना लाभकारी होता है।
फूल और फलियों का समय
मूंगफली के पौधों में फूल एक साथ नहीं खिलते हैं। गुच्छेदार प्रजातियों में फूल लगभग दो महीनों तक और फैलने वाली प्रजातियों में लगभग तीन महीनों तक आते हैं। फलियों के पूर्ण विकास के लिए दोनों प्रकार की प्रजातियों में कम से कम दो महीने का समय आवश्यक होता है।
कटाई का सही समय
फसल की कटाई तब करनी चाहिए जब अधिकांश फलियां पक जाएं। यदि कटाई में देरी होती है, तो कुछ प्रजातियों में पौधे खेत में नमी मिलने पर पुनः अंकुरित हो सकते हैं। ऐसे में पौधों की पत्तियां गिर जाती हैं और पौधा सूख जाता है। किसानों को ध्यान देना चाहिए कि पौधे पीले पड़ जाएं, तभी फसल की कटाई करना सही होता है। सामान्य परिस्थितियों में, अगेती और पछेती प्रजातियों की कटाई क्रमशः 105 और 135 दिनों में होती है।
फसल की पैदावार पर निगरानी
फसल पकने के कुछ दिनों के अंतराल पर खेत से कुछ पौधे उखाड़कर, समय-समय पर फसल के पकने का निरीक्षण करना चाहिए। जब प्रति पौधे से अधिकतम संख्या में पूर्ण विकसित और परिपक्व फलियां प्राप्त हो जाएं, तभी फसल की कटाई करनी चाहिए।
फलियों को सुखाना
कटाई के बाद, फलियों को अच्छी तरह सुखाना आवश्यक है। सुखाने की प्रक्रिया तब तक जारी रखनी चाहिए जब तक फलियों में 9-10 प्रतिशत तक नमी न रह जाए। इससे फलियों की गुणवत्ता और तेल की मात्रा बनी रहती है।