मोहन भागवत का विजयादशमी भाषण: मोदी सरकार की नीतियों पर मुहर
संघ प्रमुख का भाषण और उसकी प्रमुख बातें
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में संघ मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसका एक बड़ा हिस्सा पिछले महीने से देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया भाषणों और 'मन की बात' कार्यक्रम में जो बातें उठाई गईं, उनमें से कई बातें भागवत के भाषण में भी सुनने को मिलीं। हालांकि, कुछ बातें ऐसी थीं जो अलग थीं और जिनमें सरकार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव छिपे थे। कुल मिलाकर, भागवत का भाषण मोदी सरकार के कार्यों को समर्थन देने वाला था।
अमेरिकी टैरिफ पर संघ प्रमुख की राय
भागवत ने अपने भाषण में कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ भारत के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं हैं। हालांकि, अर्थशास्त्र के दृष्टिकोण से यह पूरी तरह सही नहीं है, क्योंकि भारत इस चुनौती का सामना कर रहा है। हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने बताया कि अमेरिकी टैरिफ के कारण राज्य को 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और हजारों नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि यदि टैरिफ जल्द समाप्त नहीं हुआ, तो भारत को दीर्घकालिक नुकसान होगा। फिर भी, सरकार का कहना है कि यह भारत के लिए अवसर है, जो भागवत के भाषण में भी झलकता है।
स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी की तरह, भागवत ने भी स्वदेशी अपनाने और आत्मनिर्भर बनने की बात की। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों को अपने उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए। भागवत ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक संबंध भारत की शर्तों पर होने चाहिए, न कि किसी दबाव में। यह बात सरकार की नीति के अनुरूप है, जिसमें कहा गया है कि भारत अपने आर्थिक निर्णय अपने नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर पर संघ प्रमुख की टिप्पणी
ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भी भागवत ने सरकार की लाइन का समर्थन किया। इस सैन्य अभियान की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे आतंकवादियों को कड़ा जवाब मिला है। हालांकि, उन्होंने इस विषय पर उठ रहे सवालों का उल्लेख नहीं किया। इसके अलावा, नई पीढ़ी के आंदोलनों पर भी भागवत ने चिंता जताई और कहा कि भारत में अशांति फैलाने वाली ताकतें सक्रिय हैं।