म्यांमार के रामरी द्वीप पर द्वितीय विश्व युद्ध का भयानक मंजर
1945 में म्यांमार के रामरी द्वीप पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक भयानक घटना घटी, जब 1,000 जापानी सैनिकों को ब्रिटिश सेना ने घेर लिया। जान बचाने के लिए वे एक दलदली जंगल में छिप गए, लेकिन वहां उनका सामना खारे पानी के मगरमच्छों से हुआ। रात के अंधेरे में हुई चीखें और गोलियों की आवाजें इस त्रासदी की कहानी बयां करती हैं। जानें कैसे केवल 20 सैनिक ही जीवित बचे और यह घटना इतिहास में एक भयानक जानवरों के हमले के रूप में दर्ज हुई।
Sep 23, 2025, 15:37 IST
1945 की त्रासदी: रामरी द्वीप का नरसंहार
द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण में, म्यांमार का रामरी द्वीप एक भयानक घटना का गवाह बना। 1945 में, जब ब्रिटिश सेना ने जापानी सैनिकों को चारों ओर से घेर लिया, तो लगभग 1,000 सैनिकों को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। जान बचाने के लिए, ये सैनिक एक घने मैंग्रोव दलदली जंगल में छिप गए। लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि इस दलदल में उनकी मौत उनका इंतजार कर रही थी।इस दलदली क्षेत्र में खारे पानी के खतरनाक मगरमच्छों का वास था। जैसे ही रात का अंधेरा छाया, जंगल में चीखें और गोलियों की आवाजें गूंजने लगीं। यह किसी युद्ध की आवाज नहीं थी, बल्कि उन सैनिकों की चीखें थीं जो मौत से जूझ रहे थे। ब्रिटिश सैनिकों ने यह सब सुना, लेकिन उनकी मदद नहीं कर सके।
अगली सुबह जब वे उस क्षेत्र में पहुंचे, तो दृश्य दिल दहला देने वाला था। चारों ओर लाशें बिखरी थीं, जिनकी पहचान करना भी मुश्किल था। कुल 1,000 सैनिकों में से केवल 20 ही जीवित बचे थे, बाकी सभी मगरमच्छों का शिकार बन चुके थे। यह घटना इतिहास में सबसे भयानक जानवरों के हमले के रूप में जानी जाती है।