यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा पर भारत की कूटनीतिक कोशिशें
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है। भारत सरकार इस मामले में सक्रियता से काम कर रही है, लेकिन हूती प्रशासन के साथ औपचारिक संबंधों की कमी से बातचीत में कठिनाई आ रही है। जानें इस जटिल मामले की पूरी कहानी और भारत की कोशिशें।
Jul 9, 2025, 13:00 IST
निमिषा प्रिया की फांसी की सजा
केरल के पलक्कड़ जिले की निवासी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। उन्हें 16 जुलाई को यमन में फांसी दी जाने वाली है। इस मामले ने भू-राजनीतिक और कानूनी जटिलताओं के चलते नई दिल्ली का ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। 37 वर्षीय प्रिया काम के सिलसिले में यमन गई थीं और वर्तमान में वह सना की एक जेल में बंद हैं, जो ईरान समर्थित हूती प्रशासन के अधीन है, जिसके साथ भारत के औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं।
निमिषा प्रिया का परिचय
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया ने 2008 में स्वास्थ्य सेवा में करियर बनाने के लिए यमन का रुख किया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और प्रिया को उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करनी थी। उनके पति और नाबालिग बेटी 2014 में भारत लौट आए थे, जबकि यमन गृहयुद्ध की चपेट में आ गया था, जिससे वे वापस नहीं जा सके। 2020 में, प्रिया को एक ट्रायल कोर्ट द्वारा मृत्युदंड दिया गया था, जिसे यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में बरकरार रखा। यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने उनकी फांसी की सजा को मंजूरी दी है।
भारत की कोशिशें
निमिषा प्रिया की फांसी के खिलाफ भारत की सक्रियता
भारत सरकार प्रिया की फांसी को रोकने के लिए प्रयासरत है। एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि हम इस मामले पर लगातार नजर रख रहे हैं और यमनी अधिकारियों तथा प्रिया के परिवार के सदस्यों के साथ नियमित संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि हम हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं। हालांकि, हूती प्रशासन के साथ औपचारिक राजनयिक संबंधों की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिससे बातचीत में कठिनाई हो रही है।