यमुनानगर के सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा का नया युग
यमुनानगर में शिक्षा का नया अध्याय
यमुनानगर समाचार, (यमुनानगर) : यमुनानगर के सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का तरीका अब बदलने वाला है! शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को 600 डिजिटल बोर्ड के नियमित उपयोग का कड़ा निर्देश दिया है। जिन स्कूलों में ये स्मार्ट बोर्ड बंद पड़े हैं या केवल नाममात्र के लिए उपयोग हो रहे हैं, वहां सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। विभाग ने इन बोर्डों के उपयोग की रिपोर्ट भी मांगी है। इसका उद्देश्य बच्चों की शिक्षा को तकनीक के माध्यम से सरल और मनोरंजक बनाना है। चित्र, वीडियो और ऑडियो के माध्यम से बच्चे कठिन विषयों को भी जल्दी समझ सकेंगे।
वर्चुअल क्लासरूम का अनुभव
यमुनानगर के सरकारी स्कूलों में स्थापित लगभग 600 डिजिटल बोर्ड अब वर्चुअल क्लासरूम की तरह कार्य करेंगे। हाल की समीक्षा में यह सामने आया कि कई स्कूलों में ये बोर्ड या तो बंद हैं या उनका सही उपयोग नहीं हो रहा। अब शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन बोर्डों का उपयोग प्रतिदिन होना चाहिए। यदि कोई बोर्ड खराब है, तो उसकी तुरंत मरम्मत कराई जाए। प्रिंसिपल, हेडमास्टर और इंचार्ज की जिम्मेदारी तय की गई है।
शिक्षकों और छात्रों का उत्साह
सरकारी मिडिल स्कूल की शिक्षिका मीनाक्षी का कहना है कि डिजिटल बोर्ड से गणित और विज्ञान जैसे विषय पढ़ाना बहुत सरल हो गया है। बच्चे प्रयोगों को देखकर तुरंत समझ जाते हैं। छात्र विकास का कहना है कि इन बोर्डों के माध्यम से पढ़ाई खेल-खेल में हो जाती है, जैसे वे किसी स्मार्ट क्लास में हों। यह तकनीक बच्चों को पढ़ाई के प्रति उत्साहित कर रही है।
ग्रामीण बच्चों के लिए नई उम्मीद
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी होती है, लेकिन डिजिटल बोर्ड इन बच्चों के लिए नई उम्मीद लेकर आए हैं। अब गांव के बच्चे भी वही अनुभव प्राप्त कर सकेंगे जो शहरों के प्राइवेट स्कूलों में मिलता है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं और डिजिटल युग की चुनौतियों के लिए तैयार करेगी। यदि शिक्षकों को निरंतर प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता मिलती रही, तो सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार संभव है।
यमुनानगर में डीईओ का सख्त निर्देश
यमुनानगर के डीईओ धर्मेंद्र चौधरी ने बताया कि मुख्यालय से स्मार्ट बोर्ड के उपयोग को लेकर सख्त आदेश आए हैं। सभी स्कूलों से ब्लॉक-वाइज रिपोर्ट मांगी गई है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितने बोर्ड कार्य कर रहे हैं और कितने बेकार पड़े हैं।