यादव समाज का विरोध: '120 बहादुर' फिल्म पर विवाद
यादव समाज का विरोध
यूपी में '120 बहादुर' फिल्म का विवाद: उत्तर प्रदेश के यादव समुदाय ने बॉलीवुड फिल्म '120 बहादुर' के खिलाफ आवाज उठाई है। इस समाज ने फिल्म के निर्माता फरहान अख्तर और निर्देशक रजनीश घई पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 1962 के रेजांगला युद्ध में यादव और अहीर सैनिकों की भूमिका को नजरअंदाज किया है। यादव मंच के अध्यक्ष अनुराग यादव ने चेतावनी दी है कि यदि फिल्म में यादव और अहीर सैनिकों के योगदान को कमतर दिखाया गया, तो इसे यूपी के किसी भी सिनेमाघर में रिलीज नहीं होने दिया जाएगा।
रेजांगला युद्ध: एक ऐतिहासिक पराक्रम
18 नवंबर 1962 को लद्दाख के रेजांगला में हुई इस लड़ाई में 13वीं कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी के 120 सैनिकों ने चीनी सेना के 3000 से अधिक सैनिकों का सामना किया। इस संघर्ष में 114 सैनिक शहीद हुए, जिनमें अधिकांश यादव और अहीर जाति के थे। यह लड़ाई भारतीय सेना की वीरता का प्रतीक मानी जाती है, और चीन ने भी शहीदों के प्रति सम्मान प्रकट किया था।
फिल्म के नाम पर विवाद, हरियाणा में विरोध प्रदर्शन
हरियाणा के यादव समाज का कहना है कि फिल्म के ट्रेलर में मेजर शैतान सिंह भाटी की वीरता को प्रमुखता से दिखाया गया है, जबकि यादव और अहीर सैनिकों की भूमिका को नजरअंदाज किया गया है। यह शहीदों का अपमान है। यादव और अहीर समुदाय के लोगों ने फिल्म का नाम '120 बहादुर' के बजाय '120 वीर अहीर' रखने की मांग की है। गुरुग्राम में आयोजित महापंचायत में इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन भी किए गए, जिसमें सड़कें जाम कर दी गईं।
उत्तर प्रदेश में यादव मंच की स्थिति
उत्तर प्रदेश में यादव मंच ने इस विरोध को आगे बढ़ाया है। अध्यक्ष अनुराग यादव का कहना है कि यदि फिल्म में उनके समुदाय के योगदान को कमतर दिखाया गया, तो वे इसे यूपी के किसी भी सिनेमाघर में रिलीज नहीं होने देंगे। यह कदम उनके समुदाय की अस्मिता और सम्मान की रक्षा के लिए आवश्यक है।
समाजवादी पार्टी की चुप्पी
समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, पार्टी प्रवक्ता मनोज यादव ने कहा है कि हरियाणा में यादव समाज का अधिकांश हिस्सा भाजपा के साथ है, और रेजांगला युद्ध में यादव समाज के योगदान को भाजपा के नेताओं तक पहुंचाया जाएगा। सपा इस मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। यदि फिल्म के निर्माता इस विवाद पर ध्यान नहीं देंगे, तो यह और बढ़ सकता है। फिल्म निर्माताओं को समाज के विभिन्न तबकों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस विवाद का समाधान निकालना चाहिए।