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यासीन मलिक का हलफनामा: राजनीतिक और धार्मिक संपर्कों का खुलासा

यासीन मलिक, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख, ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें उन्होंने अपने राजनीतिक और धार्मिक संपर्कों का खुलासा किया है। उन्होंने कई प्रमुख हस्तियों के साथ मुलाकातों का जिक्र किया और सवाल उठाया कि गंभीर आरोपों के बावजूद उनके संपर्क में क्यों आए। मलिक ने शांति प्रयासों का समर्थन करने वाले नेताओं का भी उल्लेख किया। जानें इस हलफनामे में और क्या जानकारी दी गई है और इसका क्या प्रभाव हो सकता है।
 

यासीन मलिक का दावा

यासीन मलिक का बयान: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक, जो वर्तमान में तिहाड़ जेल में हैं, ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें उन्होंने अपने पुराने राजनीतिक और धार्मिक संबंधों का जिक्र किया है। मलिक ने कहा कि उन्होंने कई बार विभिन्न धर्मगुरुओं, राजनीतिक नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों से मुलाकात की है।


मुलाकातों का विवरण

हलफनामे में मलिक ने उल्लेख किया कि दो अलग-अलग शंकराचार्य उनके श्रीनगर स्थित घर पर कई बार आए और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी उनके साथ नजर आए। इसके अलावा, उन्होंने 2011 में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं के साथ पांच घंटे की बैठक का भी जिक्र किया। यह बैठक दिल्ली के थिंक टैंक सेंटर फॉर डायलॉग एंड रीकंसिलिएशन द्वारा आयोजित की गई थी।


सवाल उठाते हुए

मलिक के सवाल: मलिक ने यह सवाल उठाया कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद, कई प्रमुख हस्तियां उनके संपर्क में क्यों आईं और उनका समर्थन किया। उन्होंने कहा कि RSS के नेतृत्व और विवेकानंद इंस्टीट्यूट के चेयरपर्सन एडमिरल के.के. नायर ने भी उन्हें अपने निवास पर आमंत्रित किया। हलफनामे में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के रमजान के दौरान युद्धविराम में भूमिका का भी उल्लेख किया गया है।


शांति प्रयासों का समर्थन

मलिक ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में JKLF के जनरल सेक्रेटरी रफीक दर्र और संयुक्त जिहाद काउंसिल (UJC) के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन से बातचीत की। इसके बाद, उन्होंने हुर्रियत नेताओं के समर्थन से युद्धविराम के लिए संयुक्त बयान तैयार किया। मलिक ने यह भी कहा कि वाजपेयी और तत्कालीन गृह मंत्री LK अडवानी ने उनके शांति प्रयासों का समर्थन किया।


कश्मीर मुद्दे का समाधान

संवाद का आमंत्रण: हलफनामे में यह भी बताया गया कि फरवरी 2006 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा औपचारिक संवाद के लिए आमंत्रित किया गया था। मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत कश्मीर मुद्दे का समाधान करने की पूरी कोशिश कर रहा है। यह हलफनामा उस समय दायर किया गया है जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मलिक के खिलाफ आतंकवादी फंडिंग मामले में मौत की सजा की मांग की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मलिक को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है और अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।