यूपी रेरा में पारदर्शिता पर उठे सवाल, अध्यक्ष के बेटे की समिति में नियुक्ति विवादित
लखनऊ में रेरा की कार्यप्रणाली पर सवाल
लखनऊ : उप्र भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) का गठन जनता के हितों की रक्षा के लिए किया गया है। हाल ही में, रियल एस्टेट की डिफॉल्टर परियोजनाओं से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के आदेशों का अध्ययन करने के लिए गठित एक समिति में रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी के बेटे, जयश भूसरेड्डी को शामिल करने पर सवाल उठ रहे हैं।
इस विवाद के बढ़ने पर, इस आदेश को एक सप्ताह के भीतर रद्द करने का दावा किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, एनसीएलटी में 196 रियल एस्टेट कंपनियों के मामले विचाराधीन हैं, जिनमें यूपी की राजधानी लखनऊ और एनसीआर के कई बड़े शहर शामिल हैं। इन मामलों का अध्ययन करने के लिए यूपी रेरा ने हाल ही में एक समिति का गठन किया था, जिसमें जयश भूसरेड्डी को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया था।
17 मार्च को यूपी रेरा के पूर्व सचिव प्रमोद कुमार उपाध्याय द्वारा जारी पत्र के अनुसार, इस समिति में दो लॉ क्लर्क मृदुल तिवारी और ईशा अस्थाना के साथ जयश भूसरेड्डी को शामिल किया गया। समिति का कार्य एनसीएलटी द्वारा कंपनियों से जुड़े दिवालिया और वसूली संबंधी आदेशों का अध्ययन करना था। समिति द्वारा तैयार प्रस्तुतीकरण को विधि सलाहकार के माध्यम से रेरा सचिव के समक्ष पेश किया जाना था।
इस मामले में यूपी रेरा के पूर्व सचिव ने कहा कि रेरा में नियमों और आदेशों के संबंध में निरंतर प्रशिक्षण होता है। उन्होंने बताया कि 17 मार्च को एक तीन सदस्यीय प्रशिक्षण समिति बनाई गई थी, जिसमें जयश भूसरेड्डी को एनसीएलटी के विशेषज्ञ के रूप में शामिल किया गया था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एक सप्ताह के भीतर इस आदेश को रद्द कर दिया गया।
पारदर्शिता पर उठे सवाल: दीपक द्विवेदी
रेरा मामलों के वरिष्ठ विधिक सलाहकार दीपक द्विवेदी ने कहा कि प्राधिकरण का अध्यक्ष अपने परिवार के सदस्यों को किसी समिति में शामिल नहीं कर सकता। यह नियमों के खिलाफ है और इस प्रक्रिया में निर्धारित मानदंडों की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम ने संस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि समिति का गठन अस्पष्ट आदेश के साथ किया गया था, जिसमें कानूनी प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था।
यूपी में डिफॉल्टर रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स
यूपी में 196 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स एनसीएलटी में डिफॉल्टर हो चुके हैं, जिनमें लगभग 20,000 फ्लैट फंसे हुए हैं। इनकी कुल कीमत 10,000 करोड़ रुपये है। ये प्रोजेक्ट नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, आगरा, मेरठ, कानपुर जैसे कई शहरों में स्थित हैं। इन परियोजनाओं पर बैंकों, वित्त कंपनियों, कच्चे माल के सप्लायर्स और आवंटियों ने मुकदमे भी दायर किए हैं। रेरा में पंजीकृत इन परियोजनाओं में जेपी की 41, सुपरटेक की 35, अजनारा की 17, लॉजिक्स की 11, आरजी ग्रुप की 8, अंसल्स की 7, आईवीआर प्राइम की 6, बीसीसी इंफ्रा की 3, अर्थ की 2, थ्री सीज और एटीएस की 1-1 हैं। शेष 64 परियोजनाएं अन्य समूहों की हैं।