यूरोपीय संघ ने रूस पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की, ऊर्जा और वित्त क्षेत्र पर विशेष ध्यान
रूस पर पश्चिमी देशों का दबाव बढ़ता जा रहा है
यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में, पश्चिमी देशों ने रूस पर अपने प्रतिबंधों को और सख्त कर दिया है। यूरोपीय संघ (EU) ने अमेरिका के दबाव में रूस के खिलाफ अब तक के सबसे कठोर प्रतिबंधों की घोषणा की है। इस नए पैकेज का उद्देश्य रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और उसकी युद्ध क्षमता को पूरी तरह से बाधित करना है।नए प्रतिबंधों का मुख्य लक्ष्य केवल कुछ कंपनियों या व्यक्तियों पर नहीं, बल्कि रूस की आय के प्रमुख स्रोतों, विशेषकर ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्रों पर है।
रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर प्रभाव: नए नियमों के अनुसार, यूरोपीय संघ अब रूस के लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) परियोजनाओं में किसी भी नए निवेश पर रोक लगाएगा। यह कदम पुतिन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि रूस अपने ऊर्जा व्यापार को बढ़ाने के लिए इन परियोजनाओं पर निर्भर था।
बैंकों पर नए प्रतिबंध: जिन रूसी बैंकों ने अब तक पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने का प्रयास किया था, उन्हें भी अब निशाना बनाया गया है। इससे रूस के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन करना लगभग असंभव हो जाएगा।
क्या अमेरिका के दबाव का असर?: यह निर्णय उस समय लिया गया है जब अमेरिका ने उन विदेशी बैंकों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी, जो रूस के साथ व्यापार कर रही थीं। अमेरिका ने स्पष्ट किया था कि जो भी रूस का समर्थन करेगा, उसे अमेरिकी वित्तीय प्रणाली से बाहर कर दिया जाएगा।
इस नए और कठोर प्रतिबंध पैकेज ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिमी देश अब रूस को किसी भी प्रकार की छूट देने के लिए तैयार नहीं हैं। अब यह देखना होगा कि इन प्रतिबंधों का रूस की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या यह पुतिन को अपनी रणनीति में बदलाव के लिए मजबूर करेगा।