रतन टाटा: भारतीय उद्योग के नायक की प्रेरणादायक यात्रा
रतन टाटा का अद्वितीय दृष्टिकोण
भारतीय उद्योग में रतन टाटा को दूरदर्शिता, साहस और नैतिक मूल्यों का प्रतीक माना जाता है। जब उन्होंने टाटा ग्रुप की बागडोर संभाली, तब भारत आर्थिक उदारीकरण के दौर में था। उस समय टाटा ग्रुप एक मजबूत घरेलू समूह था, लेकिन इसकी वैश्विक पहचान सीमित थी। रतन टाटा ने परंपरागत सोच को छोड़कर जोखिम उठाने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश करने का निर्णय लिया। यही निर्णय बाद में टाटा ग्रुप के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए।
वैश्विक विस्तार की दिशा में कदम
रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में स्पष्ट किया कि भविष्य वैश्विक विस्तार में है। उन्होंने केवल लाभ पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि दीर्घकालिक रणनीति और ब्रांड वैल्यू पर भी ध्यान केंद्रित किया। ऑटोमोबाइल, स्टील, आईटी, एविएशन, टेलीकॉम और रक्षा जैसे क्षेत्रों में समूह की उपस्थिति मजबूत हुई। टाटा ग्रुप ने जोखिम लेने की नीति अपनाई, जिसने उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना दिया।
जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण
रतन टाटा के सबसे साहसी निर्णयों में से एक 2008 में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण था। टाटा मोटर्स ने अमेरिकी कंपनी Ford Motor Company से जेएलआर को 2.3 अरब डॉलर में खरीदा। उस समय वैश्विक मंदी का दौर था और कई विशेषज्ञों ने इस निर्णय पर सवाल उठाए। लेकिन रतन टाटा की दूरदर्शिता ने रंग लाई। जेएलआर ने न केवल लाभ कमाया, बल्कि टाटा मोटर्स को लग्जरी कार सेगमेंट में वैश्विक पहचान दिलाई।
टाटा नैनो: आम आदमी का सपना
रतन टाटा का सपना था कि हर भारतीय परिवार सुरक्षित कार में यात्रा कर सके। इसी सोच से टाटा नैनो का जन्म हुआ। 2008 में लगभग एक लाख रुपये की कीमत पर लॉन्च हुई यह कार दुनिया की सबसे सस्ती कार मानी गई। हालांकि नैनो व्यावसायिक रूप से सफल नहीं हो पाई और 2018 में इसका उत्पादन बंद कर दिया गया, लेकिन इसने रतन टाटा की सामाजिक सोच और नवाचार की भावना को उजागर किया।
एयर इंडिया का अधिग्रहण
रतन टाटा के मार्गदर्शन में टाटा ग्रुप ने 2022 में सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया का अधिग्रहण किया। लगभग 18 हजार करोड़ रुपये की इस डील को एयर इंडिया की घर वापसी कहा गया। टाटा समूह ने एयर इंडिया की स्थापना की थी। अधिग्रहण के बाद कंपनी की ब्रांड इमेज सुधारने, सेवाओं को बेहतर बनाने और संचालन को आधुनिक बनाने पर जोर दिया गया।
एविएशन क्षेत्र में विस्तार
एयर इंडिया के अधिग्रहण के बाद, टाटा ग्रुप ने एविएशन क्षेत्र में आक्रामक रणनीति अपनाई। समूह ने बोइंग और एयरबस से 500 से अधिक विमानों का ऑर्डर दिया। यह भारतीय एविएशन इतिहास के सबसे बड़े ऑर्डरों में से एक माना जाता है।
टेलीकॉम में कदम
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने 2008 में जापानी कंपनी NTT Docomo के साथ मिलकर टाटा डोकोमो लॉन्च किया। पारदर्शी टैरिफ और सेकंड आधारित बिलिंग ने इसे लोकप्रिय बनाया। हालांकि कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण 2017 में इसका संचालन बंद करना पड़ा।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
2007 में टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड के माध्यम से रतन टाटा ने रक्षा क्षेत्र में कदम रखा। इसने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की दिशा में टाटा ग्रुप की भूमिका को मजबूत किया।
रतन टाटा की विरासत
रतन टाटा के ये निर्णय केवल व्यापारिक नहीं थे, बल्कि इनमें देश और समाज के भविष्य की सोच शामिल थी। उनकी दूरदर्शिता, साहस और नैतिक मूल्यों ने टाटा ग्रुप को वैश्विक मंच पर सम्मान और पहचान दिलाई। यही कारण है कि रतन टाटा आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।