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रथ यात्रा 2025: निलाद्री बिजे और रसगुल्ला दिवस का उत्सव

रथ यात्रा 2025 का अंतिम दिन आज मनाया जा रहा है, जिसमें भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों को श्रीमंदिर में पुनः स्थापित किया जाएगा। इस अवसर पर निलाद्री बिजे और रसगुल्ला दिवस का उत्सव भी मनाया जाएगा। जानें इस दिन की विशेष रस्में, जैसे महास्नान, पुष्पांजलि और रसगुल्ला भेंट। यह दिन ओडिशा में श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जहां लोग एक-दूसरे को रसगुल्ला खिलाकर इस पर्व का जश्न मनाते हैं।
 

रथ यात्रा 2025 का समापन

रथ यात्रा 2025: आज रथ यात्रा 2025 का अंतिम दिन है। रात 10 बजे तक भगवान जगन्नाथ की तीनों दारु मूर्तियों को श्रीमंदिर में उनके रतन सिंहासन पर पुनः स्थापित किया जाएगा। हर साल भगवान जगन्नाथ आषाढ़ मास की द्वादशी तिथि पर रथ यात्रा के अवसर पर अपने निवास से बाहर आते हैं। इसके पीछे कई कहानियाँ हैं, जैसे कि वे अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए बाहर आते हैं, क्योंकि पिछले 15 दिनों से वे बीमार थे और किसी से नहीं मिले। एक अन्य कथा के अनुसार, वे अपनी मौसी के घर जाते हैं, क्योंकि उन्होंने वादा किया था कि वे हर साल उनके मंदिर आएंगे। इस वर्ष रथ यात्रा 27 जून को मनाई गई थी और यह अगले दिन भी जारी रही। बाहुड़ा रथ यात्रा 5 जुलाई को आयोजित की गई थी।


बाहुड़ा यात्रा का महत्व

बाहुड़ा यात्रा में भगवान जगन्नाथ मौसी मंदिर से अपने घर लौटते हैं। हालांकि, वे अभी भी मंदिर के मुख्य द्वार सिंह द्वार पर हैं, क्योंकि माता लक्ष्मी उन्हें अंदर आने नहीं देती। यह पति-पत्नी के बीच प्रेम भरे कलह का प्रतीक है। कल पूरी में अधर पना नीति का आयोजन हुआ था, जिसमें प्रभु जगन्नाथ और उनके भाई-बहन के रथ पर मिट्टी की हांडियों में दूध, छेना, फलों और मसालों से एक शरबत बनाया जाता है, जिसे भूत-प्रेत और आत्माओं को समर्पित किया जाता है। आज निलाद्री बिजे और रसगुल्ला दिवस के साथ उत्सव का समापन होगा।


निलाद्री बिजे की रस्म

निलाद्री बिजे क्या है?

रथ यात्रा के अंतिम दिन मनाई जाने वाली इस रस्म में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा 12 दिनों की यात्रा के बाद पुरी श्रीमंदिर लौटते हैं। इस अवसर पर पहांडी जुलूस निकाला जाता है, जिसमें ओडिशा के पारंपरिक गीतों के साथ उन्हें मंदिर के अंदर ले जाया जाता है। इसके पहले रसगुल्ला दिवस और अन्य रस्में होती हैं, जिनमें रथों पर देवताओं की अंतिम मंगल आलती और संध्या आलती शामिल होती हैं।


आज निलाद्री बिजे में होने वाली गतिविधियाँ

आज निलाद्री बिजे में क्या-क्या होगा?

पुरी में आज मूर्तियों को मंदिर में ले जाने से पहले सेवकों द्वारा सिंहासन की सफाई की जाएगी। इसके बाद भगवान को पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। नीलाद्रि बिजे के अनुष्ठानों में कई प्रमुख रस्में शामिल होती हैं, जैसे महास्नान, रोशा होम, मैलामा, चंदन लगाना, सूर्य पूजा, द्वारपाल पूजा, बड़ा सिंह बेशा और रात्रि पाहुआड़ा।


रसगुल्ला दिवस का महत्व

रसगुल्ला दिवस किस समय मनाया जाएगा?

रसगुल्ला दिवस ओडिशा का एक विशेष पर्व है, जो रथ यात्रा से जुड़ा है। माता लक्ष्मी और भगवान जगन्नाथ के बीच एक अनोखी परंपरा है, जिसमें माता लक्ष्मी प्रभु से नाराज होती हैं क्योंकि वे बिना बताए मौसी के घर चले जाते हैं। बाहुड़ा यात्रा के दिन से माता लक्ष्मी सिंहद्वार पर उनसे भेंट करती हैं, लेकिन उन्हें घर के अंदर नहीं आने देती। निलाद्री बिजे के दिन भगवान जगन्नाथ माता लक्ष्मी को रसगुल्ला भेंट करते हैं, जिससे वह प्रसन्न हो जाती हैं। इस दिन ओडिशा के सभी मंदिरों में और घरों में रसगुल्ला प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।


रस्मों का समय

कब-कब होंगी ये रस्में?

रसगुल्ला भेंट सुबह 10 बजे होगी। इसके बाद शाम को पुष्पांजलि और संध्या आरती के बाद तीनों मूर्तियों को पहांडी बिजे की धुन पर मंदिर के अंदर ले जाया जाएगा। सभी रस्में रात 11 बजे से पहले संपन्न की जाएंगी। आज लाखों श्रद्धालु भगवान के घर वापसी के साक्षी बनेंगे।