राजकोट में अस्पतालों की सुरक्षा पर बड़ा साइबर हमला: महिलाओं की निजता का हुआ उल्लंघन
सुरक्षित स्थान पर भी खतरा
गुजरात के राजकोट में एक अस्पताल में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता का विषय बन गया है। पायल मैटरनिटी हॉस्पिटल में एक साधारण CCTV कैमरा हैकर्स के लिए एक खामोश जासूस बन गया। हैकर्स ने बेहद सरल पासवर्ड जैसे 'admin123' का उपयोग करके सिस्टम में घुसपैठ की और सैकड़ों महिलाओं के प्राइवेट वीडियो रिकॉर्ड कर लिए। इन वीडियो को बाद में विदेशी वेबसाइटों पर अपलोड कर दिया गया, जिससे यह घटना साइबर सुरक्षा की गंभीरता को उजागर करती है।
निजता का व्यापार
यह मामला जनवरी 2024 में शुरू हुआ और धीरे-धीरे देश के सबसे बड़े साइबर स्कैंडलों में बदल गया। हैकर्स ने विभिन्न अस्पतालों से लगभग 50,000 वीडियो क्लिप्स चुराए, जिनमें मैटरनिटी और गायनोकोलॉजी वार्ड के वीडियो शामिल थे। इन क्लिप्स को गुप्त वेबसाइटों पर अपलोड किया गया, जहां लोग पैसे देकर इन्हें देख सकते थे।
अपराधियों का नेटवर्क
जांच में यह भी सामने आया कि ये केवल हैकर्स नहीं थे, बल्कि संगठित अपराधी थे। उन्होंने 'Megha Mbbs' और 'cp monda' जैसे फर्जी यूट्यूब चैनल बनाए और वहां छोटे टीज़र डालकर लोगों को टेलीग्राम ग्रुप्स में शामिल किया। इन ग्रुप्स में वीडियो की कीमत ₹700 से ₹4000 तक थी, जिससे वे हर हफ्ते लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे थे।
साइबर जाल का विस्तार
राजकोट से शुरू हुआ यह साइबर नेटवर्क पूरे देश में फैल गया। पुलिस की जांच में पता चला कि 80 CCTV सिस्टम हैक किए गए, जिनमें पुणे, मुंबई, नासिक, सूरत, अहमदाबाद और दिल्ली जैसे प्रमुख शहर शामिल थे। स्कूलों, दफ्तरों और फैक्ट्रियों के कैमरे भी हैक किए गए, जिससे कई पीड़ितों को तब पता चला जब उनके वीडियो ऑनलाइन दिखाई देने लगे।
गिरफ्तारी और खुलासे
साइबर पुलिस ने दो आरोपियों, परीत धामेलिया और रोहित सिसोदिया को गिरफ्तार किया। परीत ने सॉफ्टवेयर विकसित किया था जो पासवर्ड तोड़ने में मदद करता था, जबकि रोहित ने मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा लेकर खुद को वैध कर्मचारी के रूप में प्रस्तुत किया। दोनों ने 'brute force attack' तकनीक का उपयोग करके हजारों पासवर्ड आजमाए।
साइबर सुरक्षा की आवश्यकता
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सभी अस्पतालों, स्कूलों और दफ्तरों के लिए एक चेतावनी है। अधिकांश CCTV कैमरे अब भी सरल पासवर्ड पर चल रहे हैं, जैसे 'admin123'। हैकर्स ऐसे सिस्टम में आसानी से घुस सकते हैं। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि लोग अपने पासवर्ड को बदलें और बिना एन्क्रिप्शन वाले कैमरों का उपयोग न करें।
साइबर जिम्मेदारी का पाठ
राजकोट का यह मामला केवल हैकिंग की कहानी नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक सबक है। जो तकनीक सुरक्षा के लिए बनाई गई थी, वही अब अपमान का साधन बन गई है। हर संस्था को अब साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। एक साधारण पासवर्ड बदलना हजारों जिंदगियों को बचा सकता है। निजता अब केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी बन चुकी है।