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राजनीतिक प्रयासों का आतंकवाद पर रंग चढ़ाने का प्रयास असफल

इस लेख में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगाए गए 'भगवा आतंकवाद' के आरोपों का इतिहास और राजनीतिक प्रयासों की असफलता पर चर्चा की गई है। पिछले 50 वर्षों में कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने संघ की गतिविधियों पर रोक लगाने की कोशिश की, लेकिन अदालतों में कई आरोप साबित नहीं हो सके। संघ ने सभी आरोपों को राजनीतिक दुर्भावना करार दिया है। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया है और वर्तमान स्थिति क्या है।
 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आरोपों का इतिहास


आलोक मेहता | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर 'भगवा आतंकवाद' जैसे आरोपों को लेकर राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर कई बार विवाद उठ चुके हैं। पिछले पांच दशकों में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों ने संघ की गतिविधियों पर रोक लगाने की कोशिश की है।


2008 के मालेगांव बम धमाके में 'भगवा आतंकवाद' का आरोप लगाया गया, जिसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल पुरोहित जैसे कई लोगों पर गंभीर आरोप लगे। संघ प्रमुख मोहन भागवत को भी झूठे तरीके से फंसाने की साजिश की गई।


एटीएस के अधिकारी महबूब मुजावर ने कहा कि संघ प्रमुख का नाम जोड़ने के लिए गवाहों पर दबाव डाला गया। जब उन्होंने ऐसा करने से मना किया, तो उन्हें प्रताड़ित किया गया। जांच और अदालत में पेश सबूतों से यह स्पष्ट हुआ कि कई आरोप झूठे थे।


साध्वी प्रज्ञा को जमानत मिल गई और अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। इस मामले ने यह सिद्ध किया कि कुछ लोगों को जानबूझकर फंसाने की कोशिश की गई थी।


कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संघ पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि संघ की विचारधारा देश को विभाजित कर रही है। उन्होंने संघ की तुलना कट्टरपंथी संगठनों से की, जिससे राजनीतिक टकराव बढ़ा।


पी. चिदंबरम ने गृह मंत्री रहते हुए 'भगवा आतंकवाद' शब्द का प्रयोग किया। कई जांच एजेंसियों को ऐसे मामलों में शामिल किया गया, जिनमें अधिकांश आरोपियों को बाद में रिहाई मिली।


कांग्रेस के नेताओं ने संघ पर कई बार आरोप लगाए, लेकिन अदालतों में कई आरोप साबित नहीं हो सके। संघ ने सभी आरोपों को 'राजनीतिक दुर्भावना' करार दिया है।


कांग्रेस के नेताओं को संघ पर पुराने आरोपों की याद है, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि 1949 में कांग्रेस कार्य समिति ने संघ को कांग्रेस में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया था।


संघ के वर्तमान प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत में जन्मे हर व्यक्ति को भारतीय और हिन्दू माना जा सकता है। उन्होंने सभी धर्मों के प्रति सम्मान व्यक्त किया।


भागवत ने कहा कि हर मस्जिद में भगवान की मूर्ति ढूंढना अनुचित है। यह बात पहले भी संघ के पूर्व प्रमुखों ने कही थी।


हाल के वर्षों में संघ का विस्तार हुआ है और इसके विचारों से प्रभावित लोग सत्ता में आए हैं। हालांकि, कुछ लोग अनुचित लाभ उठाने के लिए सक्रिय हो गए हैं।


संघ और उससे जुड़ी भारतीय जनता पार्टी को सतर्क रहना होगा। कुछ नेता उत्तेजक बातें कर देते हैं, जिससे सकारात्मक प्रयास धूमिल हो जाते हैं।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी संघ के विचारों से प्रभावित हैं, लेकिन उन्हें अपने सिद्धांतों को पूरा करने के लिए सहयोग की आवश्यकता है।


भारत में सभी धर्मों के लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। साम्प्रदायिक भेदभाव की गलत सूचनाएं देश की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं।