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राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था पर यूडीआईएसई रिपोर्ट का प्रभाव

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की यूडीआईएसई रिपोर्ट 2024-25 ने राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में गिरावट के गंभीर संकेत दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 1,455 स्कूलों की संख्या में कमी आई है, जिससे विद्यार्थियों के नामांकन में भी 3% की गिरावट आई है। हालांकि, बिना नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में कमी और शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार जैसे कुछ सकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जा रही है, जहां शिक्षा के संसाधन सीमित हैं।
 

राजस्थान शिक्षा रिपोर्ट: गंभीर चिंताएँ

राजस्थान शिक्षा रिपोर्ट: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी यूडीआईएसई (Unified District Information System for Education) 2024-25 रिपोर्ट ने राजस्थान की शिक्षा प्रणाली पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले एक वर्ष में राज्य में 1,455 स्कूलों की संख्या में कमी आई है। इससे न केवल शिक्षा ढांचे पर प्रभाव पड़ा है, बल्कि विद्यार्थियों के नामांकन में भी गिरावट आई है।


स्कूलों की संख्या में कमी

यूडीआईएसई रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 सत्र में राजस्थान में कुल स्कूलों की संख्या 1,06,302 है, जिसमें 70,155 सरकारी और 33,548 निजी स्कूल शामिल हैं। जबकि 2023-24 में कुल 1,07,757 स्कूल थे, इस प्रकार एक वर्ष में 1,455 स्कूल कम हो गए हैं।


सरकारी और निजी स्कूलों की स्थिति

सरकारी स्कूलों में 32,136 प्राथमिक, 18,152 माध्यमिक और 19,867 उच्च माध्यमिक संस्थान शामिल हैं। वहीं, निजी स्कूलों में 2,534 प्राथमिक, 15,395 माध्यमिक और 16,177 उच्च माध्यमिक स्कूल हैं। निजी स्कूलों की संख्या में भी पिछले वर्ष की तुलना में कमी आई है।


नामांकन दर में कमी

रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में कुल 1,67,86,065 विद्यार्थी नामांकित थे, जो 2024-25 में घटकर 1,63,64,187 रह गए। यह लगभग 4.2 लाख विद्यार्थियों की कमी को दर्शाता है, जो 3% की गिरावट है।


ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जा रही है, जहां पहले से ही शिक्षा के संसाधन सीमित हैं। कई परिवार आर्थिक कारणों या पलायन के चलते अपने बच्चों को स्कूल भेजने में असमर्थ हैं।


बिना नामांकन वाले स्कूलों में सुधार

एक सकारात्मक पहलू यह है कि 2023-24 में 2,167 स्कूलों में कोई भी छात्र नामांकित नहीं था, जबकि 2024-25 में यह संख्या घटकर 215 रह गई। यह दर्शाता है कि सरकार और प्रशासन ने निष्क्रिय स्कूलों में विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए प्रयास किए हैं।


शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि शिक्षक-छात्र अनुपात (PTR) 2023-24 के 1:22 से घटकर 2024-25 में 1:21 हो गया है। हालांकि यह सुधार मामूली है, लेकिन यह शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।


शिक्षा नीतियों पर सवाल

विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों की संख्या और नामांकन में गिरावट शिक्षा नीतियों और उनके कार्यान्वयन पर सवाल उठाती है। खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच को और मजबूत करने की आवश्यकता है।


डिजिटल शिक्षा का प्रभाव

कुछ शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा विकल्पों के कारण भौतिक स्कूलों में नामांकन में कमी आई है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल विभाजन और भी बढ़ सकता है।