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राजस्थान के गांव में बारिश के बीच अंतिम संस्कार की कठिनाई

राजस्थान के पाली जिले के राणा गांव में 90 वर्षीय फाऊ देवी प्रजापत का निधन हुआ। अंतिम संस्कार के समय बारिश ने स्थिति को और कठिन बना दिया। ग्रामीणों ने त्रिपाल की व्यवस्था की, लेकिन गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी साफ नजर आई। एसडीएम ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलने की बात कही, जिससे यह सवाल उठता है कि अधिकारियों की पहुंच कितनी सीमित है। अंतिम संस्कार में 8 घंटे लगे और परिजनों को भारी खर्च उठाना पड़ा।
 

राजस्थान की पाली में दुखद घटना

राजस्थान समाचार: राजस्थान के पाली जिले के रोहट क्षेत्र के राणा गांव से एक चौंकाने वाली खबर आई है। 90 वर्षीय फाऊ देवी प्रजापत का निधन हो गया। जब ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए शव लेकर श्मशान पहुंचे, तो बारिश शुरू हो गई। खुले में अंतिम संस्कार के कारण शव और लकड़ियां गीली होने लगीं। इस स्थिति से निपटने के लिए, ग्रामीणों ने त्रिपाल की व्यवस्था की और लगभग 10 लोग चारों ओर खड़े होकर महिला और लकड़ियों को बचाने का प्रयास करने लगे।


गांव की सुविधाओं की कमी

सुदूर गांव की स्थिति


राणा गांव, जो पाली जिला मुख्यालय से केवल 32 किलोमीटर दूर है, वहां की स्थिति किसी उपेक्षित क्षेत्र की तरह है। इस गांव में लगभग 1200 घर हैं, लेकिन श्मशान घाट पर भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां न तो स्थायी टीन शेड है और न ही बारिश से बचने की कोई व्यवस्था। जीवन के हर चरण में लोग सुविधाओं से वंचित हैं।


अधिकारियों की प्रतिक्रिया

जिम्मेदार अधिकारी की सफाई


इस मामले पर एसडीएम पूरण कुमार ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली थी। उन्होंने बताया कि बीडीओ से बात करने के बाद टीन शेड की मरम्मत कराई गई थी, लेकिन तेज हवाओं में वह उड़ गया। अब वे इसे मजबूती से फिर से स्थापित करने का आश्वासन देते हैं।


सोशल मीडिया पर अधिकारियों की सक्रियता

सोशल मीडिया पर अधिकारियों की उपस्थिति


एसडीएम ने यह भी कहा कि उन्हें सोशल मीडिया से जानकारी मिली थी, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या अधिकारियों की पहुंच केवल कुछ गांवों तक ही सीमित है। मानसून का मौसम पहले से तय था, लेकिन शायद अधिकारी इससे अनजान थे।


अंतिम संस्कार में कठिनाइयाँ

8 घंटे में हुआ अंतिम संस्कार


बारिश के कारण अंतिम संस्कार में काफी कठिनाई हुई। महिला के शव का अंतिम संस्कार लगभग 8 घंटे में हो पाया। महिला के परिजन श्रवण कुमार प्रजापत ने बताया कि श्मशान में किसी भी सरकारी सहायता का अभाव था। उन्हें मजबूरी में हजारों रुपए खर्च करने पड़े, जिसमें 4 हजार रुपए की शक्कर, 37 हजार रुपए में 50 किलो घी, 35 हजार रुपए में नारियल और अन्य खर्च शामिल थे।