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राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारी की गिरफ्तारी: क्या है पूरा मामला?

राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के एक वरिष्ठ अधिकारी जगराम मीणा की गिरफ्तारी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मीणा के पास से भारी मात्रा में नकद और महंगी शराब बरामद की गई है। इस मामले में उनकी संपत्ति की जांच जारी है और यह घटना सरकारी तंत्र की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल उठाती है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और क्या है आगे की कार्रवाई।
 

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कार्रवाई पर सवाल

राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने वाली एजेंसी, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB), खुद विवादों में घिर गई है। एसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी, एडिशनल एसपी जगराम मीणा, के पास से बड़ी मात्रा में नकद और महंगे सामान बरामद हुए हैं। उन्हें एसीबी की टीम ने हिरासत में लिया है और उनके खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।


नकद और महंगी शराब की बरामदगी

जानकारी के अनुसार, ACB की विशेष टीम ने जगराम मीणा की कार की जांच की, जिसमें लगभग 9.5 लाख रुपये नकद पाए गए। शक के आधार पर जब उनके निवास पर छापा मारा गया, तो वहां से करीब 40 लाख रुपये कैश और महंगी विदेशी शराब मिली। मीणा के घर में एक मिनी बार भी पाया गया, जो उनकी विलासिता को दर्शाता है।


भ्रष्टाचार के आरोप

भ्रष्टाचार की जड़ में बैठा ‘रक्षक’

जगराम मीणा पर पुलिस और अन्य सरकारी विभागों से जबरन वसूली करने और फर्जी मामलों में फंसाने की धमकी देकर पैसे मांगने के गंभीर आरोप हैं। यह बेहद निराशाजनक है कि जिस अधिकारी को भ्रष्टाचार रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी, वही खुद भ्रष्टाचार का हिस्सा बन गया। यह घटना राजस्थान में सरकारी तंत्र की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाती है।


जांच जारी

एसीबी की कार्रवाई से खुली परतें

मीणा के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई जारी है। उनकी संपत्ति की जांच के लिए टीमें जयपुर और अन्य स्थानों पर छापे मार रही हैं। ACB अधिकारी यह भी देख रहे हैं कि क्या इस मामले में कोई अन्य अधिकारी शामिल है। मीणा को जल्द ही अदालत में पेश किया जाएगा, जहां उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला चल सकता है।


पिछले मामलों की पुनरावृत्ति

पहले भी हुआ था ACB में खुलासा

यह ध्यान देने योग्य है कि लगभग एक महीने पहले भी ACB के एक अन्य एडिशनल एसपी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। यह लगातार दूसरा मामला है, जब ACB के भीतर के अधिकारी भ्रष्टाचार में रंगे हाथों पकड़े गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि निगरानी करने वाली संस्थाएं भी इसकी चपेट में आ रही हैं।