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रामनगर में वाहन फिटनेस जांच की समस्या: स्थानीय सेवाओं की कमी

रामनगर में वाहन मालिकों को फिटनेस जांच के लिए हल्द्वानी की यात्रा करनी पड़ रही है, जिससे उन्हें आर्थिक और समय की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय सेवाओं की कमी और एक निजी कंपनी द्वारा संचालित जांच प्रक्रिया ने लोगों में असंतोष पैदा कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर एक याचिका भी दायर की गई है, जो सरकार के निर्णयों पर सवाल उठाती है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके संभावित समाधान।
 

रामनगर में वाहन मालिकों की परेशानी

रामनगर क्षेत्र में व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस जांच अब वाहन मालिकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। यहां के ड्राइवरों को अपनी गाड़ियों की जांच के लिए हल्द्वानी की ओर लंबा सफर तय करना पड़ रहा है, जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है, बल्कि समय की भी बर्बादी हो रही है।


स्थानीय स्तर पर पहले फिटनेस जांच की सुविधा उपलब्ध थी, लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। वाहन मालिकों का कहना है कि प्रशासन उन्हें मजबूरन हल्द्वानी भेज रहा है, भले ही उनके वाहनों का परमिट केवल स्थानीय क्षेत्र के लिए हो।


फिटनेस परीक्षण का कार्य अब एक निजी कंपनी, प्रणाम ऑटो फिटनेस प्राइवेट लिमिटेड, को सौंपा गया है। यह चिंता का विषय है कि इस कंपनी का संचालन किसी परिवहन विशेषज्ञ के बजाय एक बिल्डर के हाथ में है, जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि यह निर्णय जनहित में नहीं, बल्कि निजी लाभ के लिए लिया गया है।


हर दिन हल्द्वानी जाने की मजबूरी वाहन मालिकों पर ईंधन, भोजन और समय का अतिरिक्त बोझ डाल रही है। लोग इस प्रक्रिया को आर्थिक रूप से हानिकारक मानते हैं।


रामनगर के भवानीगंज निवासी नमित अग्रवाल की पत्नी, सावित्री अग्रवाल, ने इस व्यवस्था को चुनौती देते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए एक निजी कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाया है, जिससे आम नागरिकों को नुकसान हो रहा है।