राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वतंत्रता दिवस पर संदेश: संविधान और लोकतंत्र की महत्ता
राष्ट्र के नाम राष्ट्रपति का संबोधन
नई दिल्ली - स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सभी को हार्दिक बधाई। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस को उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। ये दिन हमें भारतीय होने के गर्व का एहसास कराते हैं। हमारे लिए, संविधान और लोकतंत्र सर्वोपरि हैं।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि 15 अगस्त की तारीख हमारे सामूहिक स्मृति में गहराई से अंकित है। औपनिवेशिक शासन के दौरान, देशवासियों की कई पीढ़ियों ने स्वाधीनता का सपना देखा। देश के हर कोने में लोग विदेशी शासन की बेड़ियों को तोड़ने के लिए व्याकुल थे, लेकिन उनमें आशा का एक बलवती भाव था। यही आशा स्वतंत्रता के बाद हमारी प्रगति को ऊर्जा देती रही है। कल, जब हम अपने तिरंगे को सलामी देंगे, तब हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देंगे, जिनके बलिदान के कारण 78 साल पहले, 15 अगस्त को भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की थी।
उन्होंने कहा कि भारत की भूमि विश्व के प्राचीनतम गणराज्यों में से एक है। इसे लोकतंत्र की जननी कहना उचित है। हमारे द्वारा अपनाए गए संविधान की आधारशिला पर, हमारे लोकतंत्र का निर्माण हुआ है। हमने लोकतंत्र पर आधारित ऐसी संस्थाएं बनाई हैं, जो लोकतांत्रिक कार्यशैली को मजबूती प्रदान करती हैं। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि आज हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया, जिसमें विभाजन के कारण हुई भयावह हिंसा और लाखों लोगों के विस्थापन को याद किया गया। आज हम इतिहास की गलतियों के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।