राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन: आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश
राष्ट्रपति का संबोधन
नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को 24 मिनट का एक महत्वपूर्ण संबोधन दिया। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को कायराना करार दिया और कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना ने सीमा पार आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट किया। मुर्मू ने यह भी कहा कि भारत लोकतंत्र का जनक है और हमारे लिए संविधान सर्वोपरि है। कल जब हम तिरंगे को सलामी देंगे, तब हम स्वतंत्रता सेनानियों को भी श्रद्धांजलि देंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की नींव पर लोकतंत्र का निर्माण हुआ है। हमने ऐसे संस्थानों का निर्माण किया है जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करते हैं। राष्ट्रपति ने कश्मीर घाटी में रेल सेवा की शुरुआत को एक बड़ी उपलब्धि बताया, जिससे व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि 55 करोड़ लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ मिला है।
विभाजन की पीड़ा को न भूलें
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें विभाजन की पीड़ा को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का उल्लेख किया, जिसमें भयावह हिंसा और लाखों लोगों के विस्थापन का जिक्र किया गया। आज हम उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जो इतिहास की गलतियों का शिकार हुए।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बलिदान के माध्यम से 78 साल पहले 15 अगस्त को भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद हम एक ऐसे मार्ग पर बढ़े जिसमें सभी वयस्कों को मतदान का अधिकार मिला। भारतीयों ने चुनौतियों के बावजूद लोकतंत्र को सफलतापूर्वक अपनाया।
15 अगस्त की तारीख हमारे सामूहिक स्मृति में गहराई से अंकित है। औपनिवेशिक शासन के दौरान, देशवासियों की कई पीढ़ियों ने एक दिन स्वतंत्रता का सपना देखा। सभी ने विदेशी शासन की बेड़ियों को तोड़ने के लिए संघर्ष किया।