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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वृंदावन में की पूजा-अर्चना और कला प्रदर्शनी में दी पुरस्कार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में पूजा की और सुदामा कुटी का दौरा किया। उन्होंने नई दिल्ली में 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में पुरस्कार वितरण समारोह में भाग लिया, जहां उन्होंने 20 उत्कृष्ट कलाकारों को सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने कला के महत्व और कलाकारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें उनके विचार और भारतीय संस्कृति में कला की भूमिका के बारे में।
 

राष्ट्रपति का वृंदावन दौरा

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में पूजा की। इसके बाद, वे सुदामा कुटी का दौरा करेंगी और मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान पर भी जाएंगी। इससे पहले, बुधवार को राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति ने दृश्य कला में उत्कृष्टता के लिए 20 कलाकारों को पुरस्कार प्रदान किए। इस कार्यक्रम में संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल और ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष नंद लाल ठाकुर भी उपस्थित थे। राष्ट्रपति मुर्मू ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि उनका कार्य अन्य कलाकारों को प्रेरित करेगा।


राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति में कला को एक आध्यात्मिक साधना के रूप में देखा जाता है। कला न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करने और संवेदनशील समाज के निर्माण का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। उन्होंने कलाकारों की दूरदर्शिता और कल्पनाशीलता की सराहना की, जो एक नए भारत की छवि प्रस्तुत कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने ललित कला अकादमी द्वारा कलाकृतियों की बिक्री की पहल का स्वागत किया, जिससे एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि इससे कलाकारों को आर्थिक सहायता मिलेगी और हमारी रचनात्मक अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। कला प्रेमियों को कलाकृतियों की सराहना करने के साथ-साथ उन्हें अपने घर भी ले जाना चाहिए। हमें मिलकर भारत की पहचान को एक आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति के रूप में मजबूत करना चाहिए। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि कला किसी राष्ट्र की पहचान का प्रतीक होती है और कलाकारों का समर्थन हमारी राष्ट्रीय भावना को मजबूत करता है।