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राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे पर एकॉर्ड अस्पताल में डॉक्टरों का सम्मान

ग्रेटर फरीदाबाद के एकॉर्ड सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में डॉक्टरों ने अपने अनुभव साझा किए और समाज से अपील की कि डॉक्टरों की मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए। अस्पताल के प्रमुखों ने बताया कि डॉक्टरों की जिम्मेदारी केवल इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि वे मरीजों के मानसिक संबल का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य डॉक्टरों को सम्मानित करने के साथ-साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना भी था।
 

डॉक्टरों के योगदान को सराहा गया


(फरीदाबाद समाचार) ग्रेटर फरीदाबाद। राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे के अवसर पर ग्रेटर फरीदाबाद के सेक्टर-86 में स्थित एकॉर्ड सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अस्पताल के विभिन्न विभागों के प्रमुख चिकित्सकों ने अपने अनुभव साझा किए और समाज से डॉक्टरों की भूमिका और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अपील की।


अस्पताल के चेयरमैन डॉ. जितेंद्र कुमार ने कहा कि डॉक्टर्स डे केवल सम्मान का दिन नहीं है, बल्कि यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि डॉक्टरों को भी मानसिक और भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है। न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रोहित गुप्ता ने बताया कि डॉक्टर हर दिन दूसरों की भलाई के लिए काम करते हैं, लेकिन कई बार वे अपनी सेहत की अनदेखी कर देते हैं।


डॉक्टरों की जिम्मेदारियां और समाज की अपेक्षाएं

सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रबल रॉय ने कहा कि डॉक्टरों की जिम्मेदारी केवल इलाज तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे मरीजों के मानसिक संबल का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं। कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. ऋषि गुप्ता ने समाज से अपील की कि डॉक्टरों की मेहनत और समर्पण के प्रति संवेदनशीलता बरती जाए। ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख डॉ. युवराज कुमार ने कहा कि डॉक्टर 24 घंटे काम करते हैं।


गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रामचंद्र सोनी ने इस वर्ष की थीम 'मुखौटे के पीछे: उपचार करने वालों को कौन ठीक करता है?' पर विशेष ध्यान आकर्षित किया। सभी विशेषज्ञों ने इस विषय की सराहना की और कहा कि यह समाज को याद दिलाने का एक अवसर है कि डॉक्टर भी इंसान हैं, जिन्हें सहानुभूति, समर्थन और समझ की आवश्यकता है। कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल डॉक्टरों को सम्मानित करना था, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना भी था।