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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 100वां स्थापना दिवस: प्रदीप जोशी का संदेश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने चंडीगढ़ में अपने 100वें स्थापना दिवस का आयोजन किया, जिसमें प्रदीप जोशी ने समग्र विकास के लिए 'स्व' बोध, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक कर्तव्य पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों के महत्व पर भी प्रकाश डाला। समारोह में 510 से अधिक स्वयंसेवक उपस्थित थे, जिन्होंने संघ के उद्देश्यों को साझा किया।
 

समारोह का आयोजन और मुख्य वक्ता का संदेश

चंडीगढ़ (प्रेम विज): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने 100वें स्थापना दिवस का आयोजन किया। यह समारोह रामलीला ग्राउंड धनास में हुआ, जहां महानगर संघ चालाक विपिन वासुदेव ने अध्यक्षता की और मुख्य वक्ता के रूप में प्रदीप जोशी, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख, ने शस्त्र पूजन किया। इस अवसर पर क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्ति और 510 से अधिक स्वयंसेवक उपस्थित थे, जिनमें से 223 ने पूर्ण गणवेश धारण किया था।


मुख्य वक्ता प्रदीप जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का समग्र विकास 'स्व' बोध, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य, समरसता और आदर्श परिवार प्रणाली के माध्यम से संभव है। उन्होंने बताया कि किसी भी राष्ट्र के उत्थान के लिए उसके नागरिकों का चरित्रवान होना आवश्यक है। संघ इस दिशा में कार्य कर रहा है, ताकि राष्ट्र का परमवैभव प्राप्त किया जा सके।


जोशी ने कहा कि गुरुजी ने मानवाधिकारों और मानवीय मूल्यों की रक्षा का संदेश दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी धर्म समान हैं और किसी को भी धर्म के आधार पर अत्याचार करने का अधिकार नहीं है। संघ द्वारा दिए गए पंच परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन बिंदुओं पर चलकर हम अपने देश का उत्थान कर सकते हैं।


संघ का मानना है कि एक सशक्त और प्रगतिशील राष्ट्र के लिए सामाजिक समरसता आवश्यक है। जाति, धर्म, वंश और लिंग के आधार पर विभेदित कोई भी राष्ट्र राष्ट्रीय एकता और आंतरिक सुरक्षा के स्तर पर विकास नहीं कर सकता। संघ 'परिवार' को भारतीय संस्कृति और मूल्यों की आधारशिला मानता है।


प्रदीप जोशी ने पर्यावरण संरक्षण को एक बड़ी वैश्विक चुनौती बताया और कहा कि भारत को भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन और प्रदूषण के कारण पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर चिंता व्यक्त की।


जोशी ने आर्थिक आत्मनिर्भरता को राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक बताया और उपभोक्तावादी संस्कृति के हानिकारक प्रभावों पर चर्चा की। उन्होंने भारतीय उत्पादों को अपनाने और स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।


समारोह के दौरान विपिन वासुदेव ने कहा कि संघ ने अपने 100 वर्षों में देशभक्ति, भाईचारे और सेवा का प्रतीक बनकर दिखाया है।