×

राहुल गांधी का अंग्रेजी पर बयान: शिक्षा का अधिकार या राजनीतिक खेल?

राहुल गांधी ने एक वीडियो में अंग्रेजी को एक महत्वपूर्ण साधन बताया, जो लोगों को जंजीरों से मुक्त कर सकता है। उन्होंने बीजेपी और RSS पर आरोप लगाया कि वे नहीं चाहते कि गरीब बच्चे अंग्रेजी सीखें, क्योंकि इससे लोग सवाल पूछने और समानता की ओर बढ़ने में सक्षम होंगे। उनका यह बयान शिक्षा के अधिकार और राजनीतिक खेल के बीच एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म देता है। जानें उनके विचार और इस विषय पर उनकी राय।
 

अंग्रेजी को लेकर राहुल गांधी का नया दृष्टिकोण

राहुल गांधी ने हाल ही में एक वीडियो साझा किया है, जिसमें उन्होंने अंग्रेजी भाषा को एक साधन के रूप में प्रस्तुत किया है, जो लोगों को जंजीरों से मुक्त कर सकती है। उनका कहना है कि बीजेपी और RSS नहीं चाहते कि गरीब बच्चे अंग्रेजी सीखें, क्योंकि इससे लोग सवाल पूछने और समानता की ओर बढ़ने में सक्षम होंगे।


बीजेपी और RSS पर सीधा हमला


वीडियो में राहुल गांधी ने कहा, "मोहन भागवत अक्सर कहते हैं कि अंग्रेजी नहीं बोलनी चाहिए, लेकिन जब बीजेपी और संघ से जुड़े नेताओं के बच्चों की बात आती है, तो वे इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे हैं। यह क्या है?"


उन्होंने आगे कहा, "अगर आप अंग्रेजी सीख लेते हैं, तो आप दुनिया के किसी भी कोने में काम कर सकते हैं। ये लोग कहते हैं कि अंग्रेजी नहीं पढ़नी चाहिए, लेकिन इसका असली कारण यह है कि वे नहीं चाहते कि आप ऊंचे पदों पर पहुंचें और करोड़ों की नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा करें।"




राहुल गांधी ने कहा, "अंग्रेजी आपका सबसे बड़ा हथियार है, क्योंकि यह आपको कहीं भी पहुंचा सकती है।" उन्होंने वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा, "अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है। अंग्रेजी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेजी जंजीर नहीं, जंजीरें तोड़ने का औजार है।"


उन्होंने यह भी कहा, "BJP-RSS नहीं चाहते कि भारत का गरीब बच्चा अंग्रेजी सीखे क्योंकि वे नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें और बराबरी करें। आज की दुनिया में, अंग्रेजी उतनी ही जरूरी है जितनी आपकी मातृभाषा, क्योंकि यही आपको रोजगार दिलाएगी और आत्मविश्वास बढ़ाएगी।"


राहुल ने यह भी कहा कि भारत की हर भाषा में आत्मा, संस्कृति और ज्ञान है, और हमें उन्हें संजोना चाहिए, साथ ही हर बच्चे को अंग्रेजी सिखाना चाहिए। यही एक ऐसा भारत बनाने का रास्ता है, जो दुनिया से मुकाबला कर सके और हर बच्चे को समान अवसर दे।