रूस में 10 लाख भारतीय कामगारों की भर्ती की योजना
रूस का भारत से कामगारों की मांग का नया प्लान
नई दिल्ली - रूस ने 2025 के अंत तक भारत से 10 लाख कामगारों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया है। यह कदम यूक्रेन युद्ध के कारण रूस में पुरुषों की कमी और श्रमिकों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उठाया गया है। उराल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख आंद्रेई बेसेदिन ने इस संबंध में जानकारी दी है कि भारत के साथ इस पर समझौता हो चुका है।
उन्होंने बताया कि 2025 तक 10 लाख भारतीय श्रमिक, विशेष रूप से स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र में, पहुंचेंगे। इसके साथ ही, भारतीय श्रमिकों के लिए स्वेर्दलोव्स्क की राजधानी येकातेरिनबर्ग में एक नया भारतीय दूतावास भी स्थापित किया जाएगा। यह क्षेत्र औद्योगिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र है, जहां धातु और मशीनरी से संबंधित कारखानों में श्रमिकों की भारी कमी है। बेसेदिन के अनुसार, यूक्रेन युद्ध में रूसी पुरुषों की तैनाती और युवाओं का कारखानों में काम करने से हिचकने का यह एक बड़ा कारण है। ऐसे में भारत के कुशल श्रमिक इस कमी को पूरा कर सकते हैं।
येकातेरिनबर्ग शहर ट्रांस-साइबेरियन रेलवे के माध्यम से यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स केंद्र बन रहा है और यह आर्कटिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारतीय श्रमिकों को यहां धातु और मशीनरी उद्योग में बड़े अवसर मिलेंगे। यह ध्यान देने योग्य है कि येकातेरिनबर्ग का तापमान गर्मियों में 24 डिग्री तक और सर्दियों में -17 डिग्री तक पहुंच जाता है। अक्टूबर से अप्रैल तक बर्फ की चादर बिछी रहती है, जिससे भारतीय श्रमिकों के लिए यह एक नई चुनौती होगी।
रूस ने भारतीय श्रमिकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। मॉस्को की सैमोल्योत ग्रुप ने भारतीय निर्माण श्रमिकों को नियुक्त करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। सेंट पीटर्सबर्ग में अब तक 4,000 भारतीयों ने नौकरियों के लिए आवेदन किया है। मॉस्को और कैलिनिनग्राद में कुछ निर्माण स्थलों पर भारतीय श्रमिक पहले से काम कर रहे हैं। रूस के औद्योगिक संघ ने भारत में प्रशिक्षण स्कूल खोलने का सुझाव दिया है, ताकि श्रमिकों को रूसी आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया जा सके। रूस के शिक्षा मंत्री सर्गेई क्रावत्सोव ने इस योजना का समर्थन किया है और इसे लागू करने के लिए विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने की बात कही है।