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रूस से भारत को तीन उन्नत पनडुब्बियों का प्रस्ताव, समुद्री ताकत में होगी वृद्धि

रूस ने भारतीय नौसेना को तीन उन्नत किलो-क्लास पनडुब्बियों का प्रस्ताव दिया है, जो समुद्री ताकत को बढ़ाने में सहायक होगी। यह प्रस्ताव दिसंबर 2025 में रूसी राष्ट्रपति के भारत दौरे के बाद आया है। भारतीय नौसेना को पनडुब्बियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, और यह डील पुराने बेड़े की भरपाई करेगी। अपग्रेडेड पनडुब्बियों में आधुनिक तकनीक और मिसाइल सिस्टम शामिल होंगे, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा में सुधार होगा।
 

नई दिल्ली में रक्षा सहयोग


नई दिल्ली: समुद्री शक्ति को बढ़ाने के लिए रूस एक बार फिर भारत के साथ सहयोग करने को तैयार है। रक्षा से जुड़े सूत्रों के अनुसार, रूस ने भारतीय नौसेना को एक के बदले तीन उन्नत किलो-क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां देने का प्रस्ताव दिया है। इन पनडुब्बियों की कुल लागत एक अरब डॉलर से कम होने की संभावना है, जिससे यह भारत के लिए एक आकर्षक सौदा बनता है।


रूसी राष्ट्रपति का भारत दौरा

यह प्रस्ताव दिसंबर 2025 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के बाद सामने आया है। इस दौरान दोनों देशों के बीच 2028 तक एक अकूला-क्लास परमाणु पनडुब्बी को लीज पर देने पर भी चर्चा हुई थी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत और रूस के बीच रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।


डील की आवश्यकता

वर्तमान में, भारतीय नौसेना पनडुब्बियों की कमी का सामना कर रही है। देश की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट-75I योजना में देरी के कारण नौसेना की आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में रूस का यह प्रस्ताव एक तात्कालिक समाधान के रूप में देखा जा रहा है। रूस अपनी अतिरिक्त रिजर्व में मौजूद किलो-क्लास पनडुब्बियों को भारत को देगा, जिन्हें आधुनिक तकनीक से अपग्रेड किया जाएगा। इन पनडुब्बियों की सेवा अवधि लगभग 20 साल तक बढ़ाई जा सकती है।


पनडुब्बियों की विशेषताएँ

इन अपग्रेडेड पनडुब्बियों में कई आधुनिक सिस्टम शामिल होंगे, जैसे क्लब-एस मिसाइल सिस्टम, जो समुद्र और जमीन दोनों पर दूर तक हमला करने में सक्षम है। इसके अलावा, स्टेल्थ कोटिंग से दुश्मन के सोनार से बचाव आसान होगा। ऑटोमेटेड पेरिस्कोप और लिथियम-आयन बैटरियों की मदद से पनडुब्बियां अधिक समय तक समुद्र में रह सकेंगी।


पुराने बेड़े की भरपाई

यह डील उन पनडुब्बियों की कमी को पूरा करेगी, जो हाल के वर्षों में सेवा से बाहर हो चुकी हैं। INS सिंधुरक्षक, INS सिंधुवीर और INS सिंधुध्वज पहले ही रिटायर हो चुकी हैं। 19 दिसंबर 2025 को INS सिंधुघोष को भी 40 साल की सेवा के बाद विदाई दी गई। नई पनडुब्बियों के आगमन से नौसेना की ताकत फिर से संतुलित होगी।


नौसेना की वर्तमान स्थिति

इस समय भारतीय नौसेना के पास कुल 16 पारंपरिक पनडुब्बियां हैं। यदि नई पनडुब्बियों की तैनाती में देरी होती रही, तो 2030 के दशक के मध्य तक यह संख्या काफी कम हो सकती है। हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सुरक्षा के लिए यह स्थिति चिंताजनक मानी जा रही है।


रूस का महत्व

रूस लंबे समय से भारत का विश्वसनीय रक्षा सहयोगी रहा है। इससे पहले चक्रा परमाणु पनडुब्बी को लीज पर दिया गया था, जिससे भारतीय नौसेना को महत्वपूर्ण अनुभव मिला। मौजूदा प्रस्ताव भी भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति और मेक इन इंडिया पहल को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।


भारत की समुद्री ताकत में वृद्धि

इस बीच, भारत का स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। INS अरिधमान, जो तीसरी परमाणु पनडुब्बी है, अंतिम परीक्षण चरण में है और जल्द ही नौसेना में शामिल हो सकती है। रूस का यह नया प्रस्ताव न केवल नौसेना की मौजूदा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक स्थिति को भी और मजबूत करेगा।