रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा: रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम
पुतिन की भारत यात्रा का आगाज
नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को भारत की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचेंगे। उनकी दिल्ली में आगमन की उम्मीद शाम करीब साढ़े चार बजे है। यह यात्रा, जो लगभग 28 घंटे की होगी, दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने का संकेत देती है, खासकर तब जब भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में गिरावट आई है।
प्रधानमंत्री मोदी का आतिथ्य
पुतिन का विमान गुरुवार शाम को दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरेगा। उनके आगमन के कुछ समय बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें एक निजी रात्रिभोज देंगे। यह आतिथ्य पिछले साल जुलाई में मोदी की मॉस्को यात्रा का जवाब है, जब पुतिन ने भी उन्हें अपने निवास पर डिनर दिया था। दोनों नेताओं के बीच की व्यक्तिगत केमिस्ट्री भारत-रूस संबंधों की एक विशेषता रही है।
औपचारिक कार्यक्रमों की रूपरेखा
शुक्रवार की सुबह, पुतिन राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद राष्ट्रपति भवन में उनका औपचारिक स्वागत होगा। दिन का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम 23वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता है, जो हैदराबाद हाउस में आयोजित की जाएगी। इस दौरान, दोनों नेता द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी पुतिन और उनके प्रतिनिधिमंडल के लिए दोपहर का भोज भी आयोजित करेंगे। शाम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उनके सम्मान में राजकीय भोज देंगी। कार्यक्रमों के समापन के बाद, पुतिन शुक्रवार रात करीब साढ़े नौ बजे दिल्ली से रवाना होंगे।
आर्थिक मुद्दों पर चर्चा
इस यात्रा के दौरान आर्थिक मुद्दे प्रमुखता से उठाए जाएंगे। भारत पिछले तीन वर्षों से रूस से भारी मात्रा में रियायती कच्चा तेल खरीद रहा है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन उत्पन्न हुआ है। भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे को शिखर वार्ता में उठाएगा और रूस से भारतीय वस्तुओं, विशेषकर कृषि उत्पाद, दवाइयां और इंजीनियरिंग सामान के लिए बाजार खोलने की मांग करेगा।
अमेरिका द्वारा रूसी तेल खरीदने पर भारतीय निर्यातों पर लगाए गए 25% अतिरिक्त शुल्क और कुल 50% तक के भारी आयात शुल्क का मुद्दा भी चर्चा में रहेगा। ये प्रतिबंध भारत के निर्यात क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। दोनों नेता इस स्थिति से निपटने के लिए नए तंत्र और भुगतान व्यवस्था पर विचार कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत और रूस के बीच हर साल एक शिखर बैठक होती है, जिसमें दोनों देशों के संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की जाती है। अब तक, भारत और रूस में बारी-बारी से 22 वार्षिक शिखर बैठकें हो चुकी हैं।