रेणुका कपूर: हिंदी शिक्षा में नवाचार की मिसाल
यमुनानगर की शिक्षिका का योगदान
यमुनानगर। हिंदी हमारी संस्कृति और पहचान का अभिन्न हिस्सा है। यह कहना है रेणुका कपूर का, जो त्यागी गार्डन की निवासी हैं और जिले की प्रेरणादायक शिक्षिकाओं में से एक मानी जाती हैं। वह राजकीय उच्च विद्यालय गोबिंदपुरी में हिंदी की अध्यापिका हैं। उन्होंने न केवल कक्षा में बल्कि समाज में भी हिंदी के प्रति गहरी रुचि विकसित की है।
बच्चों में हिंदी के प्रति रुचि जगाने के लिए वह लगातार नए प्रयोग कर रही हैं। रेणुका ने हिंदी को जीवंत बनाने के लिए खेल-खेल में पढ़ाई की एक नई परंपरा शुरू की है। जैसे शब्द अंताक्षरी, शब्द रेल, और शब्दों से कहानी बनाना। इससे बच्चे न केवल सीखते हैं, बल्कि खेल-खेल में भाषा से गहराई से जुड़ते हैं। रेणुका का मानना है कि हिंदी तभी मजबूत होगी जब हम इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे। उनकी रचनात्मक सोच ने बच्चों की सोच और समाज की भाषा चेतना में बदलाव लाने का कार्य किया है।
रेणुका कपूर का शैक्षणिक सफर
रेणुका कपूर ने 23 जनवरी 1999 को राजकीय प्राथमिक विद्यालय जठलाना में जेबीटी अध्यापिका के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। 2013 से वह गोबिंदपुरी स्कूल में कार्यरत हैं और नवंबर 2024 में टीजीटी (हिंदी) के पद पर पदोन्नत हुईं। पिछले वर्ष, वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में विभागीय दौरे पर गईं, जहां उन्होंने देशभर के शिक्षकों और विद्वानों के साथ हिंदी भाषा के भविष्य पर चर्चा की।
बनारस का यह अनुभव उनके दृष्टिकोण को और विस्तृत करने में सहायक रहा। अब वह बच्चों को पढ़ाते समय हिंदी को केवल एक विषय नहीं, बल्कि संस्कृति और संवाद की भाषा के रूप में प्रस्तुत करती हैं। उनकी यात्रा जठलाना से गोबिंदपुरी और फिर बनारस तक यह संदेश देती है कि हिंदी केवल पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि संस्कार, संस्कृति और जीवन का उत्सव है।
रेणुका कपूर को अलंकार सम्मान 2025, जन कल्याण समिति प्रताप नगर, और नेशन बिल्डर अवार्ड 2025, रोटरी यमुनानगर रिवेरा से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कक्षा पहली से तीसरी तक की हिंदी पाठ्य पुस्तक निर्माण और समीक्षा में भी योगदान दिया है।
हिंदी पखवाड़ा में शिक्षिका का योगदान
हिंदी पखवाड़ा के दौरान, स्कूल में 10 जुलाई से 14 सितंबर तक रचनात्मकता उत्सव का आयोजन किया गया। इसमें कक्षा 6 से 10 तक के विद्यार्थियों को दो वर्गों में बांटकर विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। भाषण, निबंध लेखन, स्वयं रचित कविता और कहानी चित्र देखकर कहानी निर्माण, नारा लेखन, अधूरी कहानी को पूरा करना, हिंदी नाटक, और प्रार्थना सभा में प्रतिदिन एक नया शब्द अर्थ सहित प्रस्तुत किया गया।