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रेवाड़ी में बेसहारा गौवंश के प्रबंधन के लिए नई पहल

रेवाड़ी में बेसहारा गौवंश के प्रबंधन के लिए नई योजनाओं की घोषणा की गई है। अधिकारियों ने गौशालाओं में पशुओं की क्षमता का आकलन करने और नए शेड के लिए ग्रांट की जानकारी दी। जानें इस बैठक में क्या निर्णय लिए गए और कैसे इन पशुओं का बेहतर प्रबंधन किया जाएगा।
 

गौशालाओं में पशुओं की क्षमता का आकलन


  • अवारा पशुओं के लिए गांवों में जमीन की तलाश करें-डीसी
  • बेसहारा गौवंश के प्रबंधन के लिए अधिकारियों की बैठक


(रेवाड़ी समाचार) रेवाड़ी। बेसहारा गौवंश के उचित प्रबंधन के लिए रेवाड़ी जिले की गौशालाओं में पशुओं की क्षमता का आकलन किया जाएगा। डीसी अभिषेक मीणा ने गुरुवार को एक बैठक में इस संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नगर परिषद और पशुपालन विभाग के अधिकारी सभी गौशालाओं का निरीक्षण करें और वहां मौजूदा पशुओं की संख्या, नए शेड और चारे का प्रबंधन करें।


डीसी ने बताया कि यदि रेवाड़ी नगर परिषद के पास नंदी शाला के लिए भूमि नहीं है, तो आस-पास के गांवों में जमीन की तलाश की जाए। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग को सभी गौशालाओं में पशुओं के समायोजन के लिए संभावित ग्रांट की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए। इस अवसर पर नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी सुशील भुक्कल ने बताया कि रेवाड़ी शहर में लगभग 1500 अवारा पशु हैं।


जाटूसाना गौशाला के लिए ग्रांट की घोषणा

पशुपालन विभाग के डॉ नसीब सिंह यादव ने दी जानकारी


बावल नगर पालिका सचिव प्रशांत परासर ने बताया कि बावल और धारूहेड़ा में लगभग 200 बेसहारा पशु हैं। डॉ नसीब सिंह यादव ने कहा कि जाटूसाना गौशाला को जल्द ही 35 लाख की ग्रांट मिलने वाली है। उन्होंने बैठक में बगथला, जाटूसाना, मामडिया हसन, धारूहेड़ा आदि में स्थापित गौशालाओं में बेसहारा पशुओं की समायोजन संख्या के बारे में जानकारी दी।


उन्होंने बताया कि प्रत्येक गौशाला में 50 से 150 तक गाय, नंदी आदि को रखा जा सकता है। इस बैठक में सैनेटरी इंस्पेक्टर सुधीर कुमार, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी नरेन्द्र सारवान, कार्यकारी अभियंता पंचायती राज नरेन्द्र गुलिया, और विभिन्न गांवों से आए गौशाला प्रबंधक भी उपस्थित थे।