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रेवाड़ी स्कूल में मिड-ब्रेन एक्टिवेशन: बच्चों का अद्भुत प्रदर्शन

रेवाड़ी के सरकारी स्कूल में बच्चे आंखों पर पट्टी बांधकर किताबें पढ़ने की अद्भुत कला दिखा रहे हैं। यह मिड-ब्रेन एक्टिवेशन तकनीक का परिणाम है, जो बच्चों के मानसिक विकास में मदद करती है। शिक्षक भूप सिंह द्वारा दी जा रही इस ट्रेनिंग में बच्चे न केवल पढ़ाई में, बल्कि संगीत और योग में भी निपुण हो रहे हैं। जानें कैसे यह तकनीक बच्चों को हर क्षेत्र में उत्कृष्टता दिला रही है।
 

मिड-ब्रेन एक्टिवेशन: रेवाड़ी स्कूल में बच्चों का जादुई अनुभव

रेवाड़ी | भारत की संस्कृति में ध्यान और एकाग्रता का विशेष स्थान रहा है। रामायण में अर्जुन ने चिड़िया की आंख पर निशाना साधा था, जबकि महाभारत में दशरथ ने केवल आवाज सुनकर शिकार किया। आज के युग में भी ऐसी साधनाओं के अद्भुत परिणाम देखने को मिल रहे हैं।


हरियाणा के रेवाड़ी जिले के एक सरकारी विद्यालय में बच्चे आंखों पर पट्टी बांधकर किताबें पढ़ रहे हैं। यह कोई जादू नहीं, बल्कि मिड-ब्रेन एक्टिवेशन की एक विशेष तकनीक है। आइए, इस अनोखे प्रयोग की पूरी जानकारी लेते हैं।


पट्टी बांधकर पढ़ाई का अद्भुत अनुभव

रेवाड़ी के कोसली क्षेत्र के कान्हड़वास गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में छोटे बच्चे ऐसे करतब दिखा रहे हैं, जो सभी को चकित कर देते हैं। ये बच्चे आंखों पर पट्टी बांधकर किताबें पढ़ लेते हैं, घड़ी में समय बता देते हैं, सुई में धागा डाल लेते हैं, और चीजों को छूकर या सूंघकर उनकी पहचान कर लेते हैं। बाहर से यह जादुई लगता है, लेकिन शिक्षक इसे एकाग्रता और मानसिक विकास की तकनीक मानते हैं।


शिक्षक का अनोखा प्रयोग

इस अद्भुत कार्य के पीछे स्कूल के शिक्षक भूप सिंह हैं। वे बच्चों को मिड-ब्रेन एक्टिवेशन की ट्रेनिंग दे रहे हैं, जो 3 से 14 साल के बच्चों के लिए है। केवल एक हफ्ते की ट्रेनिंग में बच्चे रंगों को पहचानने लगते हैं, और 15-20 दिन में किताबें और पत्रिकाएं पढ़ने लगते हैं।


इस प्रक्रिया के दौरान बच्चे संगीत, योग और नृत्य में भी निपुण हो जाते हैं। भूप सिंह बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी एक चुनौती है, फिर भी वे अब तक दो बच्चों को पूरी तरह प्रशिक्षित कर चुके हैं। यह ट्रेनिंग एसी कमरे में होती है, क्योंकि स्थिर तापमान आवश्यक है।


दिमाग का संतुलन

भूप सिंह के अनुसार, मिड-ब्रेन एक्टिवेशन तकनीक दिमाग के दोनों हिस्सों—बाएं और दाएं हिस्से—को संतुलित करती है। बायां हिस्सा पढ़ाई और याददाश्त के लिए जिम्मेदार है, जबकि दायां हिस्सा रचनात्मकता और नई सोच को बढ़ावा देता है।


आम तौर पर लोग बाएं हिस्से पर अधिक निर्भर रहते हैं, लेकिन इस तकनीक से मिड-ब्रेन सक्रिय होने पर बच्चे हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। यही कारण है कि इसे थर्ड आई एक्टिवेशन भी कहा जाता है।


गांव में उत्साह का माहौल

जब बच्चे आंखों पर पट्टी बांधकर सवालों के जवाब देते हैं या किताबें पढ़ते हैं, तो लोग हैरान होकर तालियां बजाते हैं। छात्रा अश्विनी पुनिया इसका एक बेहतरीन उदाहरण है।


गांव के लोग और शिक्षक इस कौशल को देखकर उत्साहित हैं। अब गांव में इस तकनीक के प्रति रुचि बढ़ रही है। बाहर से यह जादू जैसा लग सकता है, लेकिन यह ध्यान, योग और विज्ञान का अनोखा मिश्रण है।