×

रॉबर्ट वाड्रा पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति की मुश्किलें बढ़ीं

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ गुरुग्राम में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है। ईडी ने आरोप लगाया है कि वाड्रा और उनके सहयोगियों ने अवैध जमीन लेनदेन में 58 करोड़ रुपये का हेराफेरी किया। इस मामले में कई कंपनियों और सहयोगियों का नाम भी शामिल है। वाड्रा पहले से ही अन्य मामलों का सामना कर रहे हैं, और उन्होंने इसे राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बताया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे के तथ्य।
 

गुरुग्राम में धोखाधड़ी का मामला

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ गुरुग्राम के शिकोहपुर क्षेत्र में धोखाधड़ी से संबंधित जमीन लेनदेन के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा है कि इस कथित अवैध लेनदेन में लगभग 58 करोड़ रुपये का हेराफेरी हुआ, जिसे बाद में विभिन्न संपत्तियों में परिवर्तित किया गया।


धन शोधन विरोधी कानून के तहत मामला

यह मामला भारतीय धन शोधन विरोधी कानून (पीएमएलए) की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। आरोपों के अनुसार, इस अपराध के लिए 3 से 7 साल तक की जेल की सजा हो सकती है और अपराध से अर्जित सभी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा। मामले की सुनवाई पीएमएलए के तहत विशेष अदालत में होगी।


सहयोगियों और कंपनियों पर आरोप

रॉबर्ट वाड्रा के सहयोगियों सत्यानंद याजी और केवल सिंह विर्क के खिलाफ भी मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, स्काई लाइट रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड (अब एसजीवाई प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड) जैसी कई कंपनियों को भी इस मामले में नामित किया गया है।


पहले से चल रहे मामले

रॉबर्ट वाड्रा पहले से ही तीन मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें से पहला आरोपपत्र 17 जुलाई को दाखिल किया गया था। उन्होंने इस कार्रवाई को वर्तमान सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बताया है।


जांच में सामने आए तथ्य

चार्जशीट में उल्लेख किया गया है कि यह मामला सितंबर 2018 में हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से संबंधित है, जिसमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डीएलएफ लिमिटेड का नाम भी शामिल है। आरोपों में धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध शामिल हैं।


जमीन की कीमत और धोखाधड़ी

प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, एसएलएचपीएल ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी, जबकि इसकी वास्तविक कीमत 15 करोड़ रुपये बताई गई थी। दस्तावेजों में दिखाए गए चेक का भुगतान कभी नहीं हुआ, जिससे लगभग 45 लाख रुपये की स्टाम्प ड्यूटी की चोरी हुई।


वाणिज्यिक लाइसेंस में अनियमितताएं

ईडी ने आरोप लगाया है कि इस लेनदेन में वाड्रा के कथित प्रभाव का उपयोग किया गया, ताकि उसी क्षेत्र में वाणिज्यिक लाइसेंस प्राप्त किया जा सके। जबकि केवल 1.35 एकड़ भूमि ही मानदंडों को पूरा करती थी, अधिकारियों ने हेराफेरी कर अधिक भूमि को शामिल किया। इसके परिणामस्वरूप लाइसेंस जल्दबाजी में जारी किया गया, जिससे बाद में जमीन 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेची गई।


पैसे के लेनदेन का तरीका

जांच में यह भी सामने आया कि लगभग 5 करोड़ रुपये मेसर्स ब्लू ब्रीज़ ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से भेजे गए, जबकि 53 करोड़ रुपये एसएलएचपीएल के माध्यम से ट्रांसफर किए गए। वाड्रा ने इस धन का उपयोग अचल संपत्तियां खरीदने, निवेश करने और कंपनी के ऋण चुकाने में किया।


संपत्तियों की जब्ती

एजेंसी ने अब तक 38.69 करोड़ रुपये मूल्य की 43 अचल संपत्तियों को कुर्क कर लिया है। इनमें बीकानेर में जमीन, गुरुग्राम, मोहाली, नोएडा में वाणिज्यिक इकाइयां और अहमदाबाद में आवासीय फ्लैट शामिल हैं। कुछ संपत्तियां सीधे रॉबर्ट वाड्रा की हैं, जबकि कई उनकी कंपनियों के नाम पर दर्ज हैं।