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रोहतक में साइबर धोखाधड़ी का पर्दाफाश, आरोपी गिरफ्तार

रोहतक में साइबर क्राइम पुलिस ने कबिंदर नामक एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो साइबर अपराधियों को धोखाधड़ी के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराता था। कबिंदर पर आरोप है कि उसने 50 से अधिक बैंक खातों का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की। पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। सुषमा नाम की एक महिला से लोन की ईएमआई बनवाने के नाम पर 1 लाख रुपये ठगे गए थे। जानें इस धोखाधड़ी के तरीके और साइबर सुरक्षा के उपाय।
 

साइबर क्राइम पुलिस की कार्रवाई

रोहतक, सिटी रिपोर्टर | साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया है जो धोखाधड़ी के लिए बैंक खातों की आपूर्ति करता था। आरोपी की पहचान पश्चिम बंगाल के कबिंदर के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार, कबिंदर ने 50 से अधिक बैंक खातों को साइबर अपराधियों को बेचा है, जिनका उपयोग करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी में किया गया। पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य व्यक्तियों की तलाश कर रही है।


सुषमा से ठगी का मामला

कबिंदर की गिरफ्तारी एक विशेष मामले की जांच के दौरान हुई, जिसमें सेक्टर-1 की निवासी सुषमा से लोन की ईएमआई बनवाने के नाम पर 1 लाख रुपये ठगे गए थे। 25 मार्च को सुषमा को लोन रिन्यू करने के लिए कॉल आई, जिसके बाद उन्होंने रिन्यू करवा लिया और 25,500 रुपये प्राप्त किए। अगले दिन, एक व्यक्ति ने खुद को बैंक अधिकारी बताकर फोन किया और ईएमआई बनाने के लिए लिंक भेजा।


धोखाधड़ी का तरीका

सुषमा से एक रुपये का ट्रांसफर करवाने के बाद, उनके खाते से 27 मार्च को दो बार 50,000 रुपये ट्रांसफर किए गए, जो उन्होंने नहीं किए थे। जब उन्होंने अपने फोन की जांच की, तो पाया कि ऐप और 'फोन पे' दोनों डिलीट कर दिए गए थे, जिससे धोखाधड़ी का पता चला।


साइबर नेटवर्क का संचालन

जांच में यह भी सामने आया कि कबिंदर हर बैंक खाते के लिए साइबर अपराधियों से 8,000 से 9,000 रुपये का कमीशन लेता था। इन खातों का उपयोग ठगी के बाद पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था, जिससे पुलिस के लिए अपराधियों तक पहुंचना कठिन हो जाता था। पुलिस ने बताया कि इन 50 खातों में कुल मिलाकर 1 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ था।


साइबर सुरक्षा के टिप्स

साइबर विशेषज्ञ मुकेश चौधरी ने सलाह दी है कि केवल प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड करें। साइबर अपराधी अक्सर फेसबुक और वाट्सएप के माध्यम से ऐप भेजकर उन्हें डाउनलोड कराते हैं। इसके बाद, वे आपके फोन की सभी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। जब वे आपके बैंक खाते का पासवर्ड बदलते हैं, तो ओटीपी आपके पास नहीं, बल्कि उनके पास जाती है, जिससे वे आपके खाते को खाली कर सकते हैं। यदि आपको आईटी की जानकारी नहीं है, तो प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड करने से बचें।