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लखनऊ में साइबर ठगी का बड़ा मामला टला, बैंक प्रबंधक की सतर्कता से बची 1.21 करोड़ रुपये की राशि

लखनऊ में एक बुजुर्ग महिला को साइबर ठगों ने ठगी का शिकार बनाने की कोशिश की, लेकिन पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक की सजगता से 1.21 करोड़ रुपये की राशि बच गई। ठगों ने महिला को डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का झांसा दिया। बैंक अधिकारियों ने समय पर कार्रवाई की और महिला के सभी खातों को फ्रीज कर दिया। यह मामला साइबर सुरक्षा की गंभीरता को उजागर करता है और यह सवाल उठाता है कि ठगों को इतनी जानकारी कैसे मिलती है।
 

साइबर ठगी का प्रयास और बैंक की तत्परता

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के शाखा प्रबंधक की सजगता से 1.21 करोड़ रुपये की एक बड़ी साइबर ठगी को रोका गया। 74 वर्षीय ऊषा को ठगों ने 'डिजिटल अरेस्ट' का भय दिखाकर मनी लॉन्ड्रिंग में परिवार के शामिल होने का झांसा दिया और उनकी पूरी जमा राशि ट्रांसफर करने का दबाव बनाया। घबराई ऊषा अपनी 13 एफडी लेकर विकास नगर स्थित पीएनबी शाखा पहुंचीं और एफडी तुड़वाकर पैसे ट्रांसफर करने लगीं। बड़ी राशि देखकर डिप्टी मैनेजर इंद्राणी ने उनसे कारण पूछा, लेकिन डर के कारण वह कुछ नहीं बता पाईं। इस पर शाखा प्रबंधक सवर्ण राठौर को सूचित किया गया।


प्रबंधक की समझदारी से ठगी का पर्दाफाश

संदेह होने पर मैनेजर ने दिखाई समझदारी

महिला की स्थिति देखकर प्रबंधक को संदेह हुआ। उन्होंने जानबूझकर गलत खाता नंबर बताकर महिला को बाहर भेजा और चपरासी को उनकी बातचीत पर नजर रखने के लिए कहा। इस दौरान पता चला कि वह साइबर ठगों से संपर्क में हैं। बैंक अधिकारियों ने महिला की काउंसलिंग की, तब उसने बताया कि ठगों ने उसे दिल्ली बम धमाके में परिवार के शामिल होने की बात कहकर डराया है। महिला का मोबाइल भी हैक कर लिया गया था।


पुलिस और बैंक की त्वरित कार्रवाई

बैंक ​अफसर ने पुलिस को दी सूचना, खाते फ्रीज

तुरंत पुलिस और बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया। महिला को आईसीआईसीआई बैंक और सेंट्रल बैंक भेजकर सभी खातों को फ्रीज कराया गया, जिससे कोई राशि ट्रांसफर न हो सके। बैंक की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से 1.21 करोड़ रुपये की बड़ी साइबर ठगी टल गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है।


साइबर ठगों की जानकारी और ठगी का तरीका

अब सवाल यह उठता है कि साइबर ठगों को इतनी जानकारी कैसे मिलती है कि किसके बैंक खाते में कितना पैसा है। एसीपी गाजीपुर अनिद्य विक्रम सिंह ने बताया कि बुजुर्ग महिला ऊषा शुक्ला (75) हैं। उनके पति स्व. शिव कुमार शुक्ला पीडब्ल्यूडी में अधिकारी थे। उनका बेटा शहर से बाहर नौकरी करता है और वह अकेली रहती हैं। 11 दिसंबर को अनजान नंबर से जालसाजों ने उन्हें व्हाट्सऐप वीडियो कॉल किया और टेरर फंडिंग का आरोप लगाकर जेल भेजने की धमकी दी।


ठगों का जाल और बैंक प्रबंधक की सूझबूझ

शाखा प्रबंधक ने रेकी के लिए भेजा बैंक कर्मचारी

शाखा प्रबंधक ने सूझबूझ दिखाते हुए बुजुर्ग के पीछे एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भेजा ताकि वह देख सके कि वह क्या बात करती हैं। बैंक कर्मचारी ने लौटकर बताया कि ऊषा ठगों का शिकार हो गई हैं। प्रबंधक ने इसकी सूचना उच्चाधिकारियों और पुलिस को दी। इसके बाद ऊषा को समझाया गया कि डिजिटल अरेस्ट कुछ नहीं होता और उन्होंने कोई टेरर फंडिंग नहीं की है।