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लद्दाख में बढ़ते असंतोष का कारण: राज्य का दर्जा और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा

Ladakh, once filled with hope after gaining Union Territory status in 2019, is now witnessing rising unrest among its citizens. They demand statehood and constitutional protection for their cultural identity, fearing the loss of their language and traditions. Recent protests have seen violence, including attacks on political offices, as the region's diverse communities unite under the 'Leh-Kargil Democratic Alliance'. With a meeting with Home Minister Amit Shah yielding no results, the movement has gained momentum, highlighting the struggle for identity and existence in this unique region.
 

लद्दाख में असंतोष का उभार

Ladakh Violence: 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होकर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने पर स्थानीय लोगों में खुशी की लहर थी। उन्हें उम्मीद थी कि इससे विकास की गति तेज होगी और वे अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकेंगे। लेकिन कुछ वर्षों में यह उत्साह असंतोष में बदल गया है। अब लेह और कारगिल, जो पहले राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से विभाजित थे, राज्य के दर्जे और 6वीं अनुसूची में शामिल होने की मांग को लेकर एकजुट हो गए हैं। हाल की हिंसा और भूख हड़तालों ने इस आंदोलन को और भी तेज कर दिया है.


लद्दाख के निवासियों की अपेक्षाएँ

लद्दाख के नागरिक क्या चाह रहे ?

लद्दाख के लोग यह महसूस कर रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बावजूद उन्हें प्रशासन में उचित भागीदारी नहीं मिल रही है। स्थानीय संगठनों का मानना है कि अब न तो श्रीनगर का शासन है और न ही जम्मू का, सब कुछ दिल्ली से नियंत्रित हो रहा है। वे चाहते हैं कि लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए ताकि वे अपनी भूमि, भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए नीतियाँ बना सकें.


संस्कृति और पहचान की सुरक्षा की मांग

भाषा, संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए मांग

लद्दाखियों की एक महत्वपूर्ण मांग यह है कि क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। उनका कहना है कि इससे उनकी स्थानीय भाषा, परंपराएँ और सांस्कृतिक पहचान को संवैधानिक सुरक्षा मिलेगी। बौद्ध और शिया मुस्लिम समुदायों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर जोर दिया है कि बिना संवैधानिक गारंटी, लद्दाख की आत्मा खो जाएगी.


राजनीतिक तनाव और हिंसा

बीजेपी ऑफिस पर हमला

हाल के विरोध प्रदर्शनों में लद्दाख में हिंसा की घटनाएँ भी सामने आई हैं। उपद्रवियों ने बीजेपी कार्यालय पर हमला किया और एक पुलिस वैन को आग लगा दी। इस स्थिति के बाद प्रशासन ने हाई अलर्ट घोषित किया और क्षेत्र में बंद का आयोजन किया गया। राजनीतिक रूप से अक्सर असहमत रहने वाले लेह और कारगिल ने इस बार एकता दिखाई है। बौद्ध बहुल लेह और शिया बहुल कारगिल मिलकर 'लेह-कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस' (LKDA) के बैनर तले आंदोलन कर रहे हैं, जो केंद्र से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहा है.


केंद्रीय गृहमंत्री से बातचीत

अमित शाह से बातचीत 

मार्च 2025 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लद्दाख के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी। लोगों को उम्मीद थी कि सरकार उनकी मुख्य मांगों पर ध्यान देगी, लेकिन बातचीत किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची। स्थानीय संगठनों का आरोप है कि अमित शाह ने उनकी मूल मांगों को खारिज कर दिया। यही कारण है कि आंदोलन अब जमीनी स्तर पर सक्रिय हो गया है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक भी इस आंदोलन के समर्थन में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि यह लड़ाई केवल भू-राजनीतिक नहीं, बल्कि पहचान और अस्तित्व की रक्षा की भी है.