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लद्दाख में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर राजनीतिक हलचल

लद्दाख में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है, जबकि विपक्ष ने देशभक्ति की परिभाषा पर सवाल उठाए हैं। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव।
 

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से बढ़ी सियासी गर्मी

लद्दाख में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों और राज्य की मांग के चलते गिरफ्तार किए गए सोनम वांगचुक के मामले ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए सवाल उठाया कि देशभक्ति और राष्ट्रविरोध की परिभाषा क्या है, जब एक वैज्ञानिक को एनएसए के तहत जेल में डाल दिया जाता है, जबकि दूसरी ओर भारत और पाकिस्तान क्रिकेट के मैदान पर आमने-सामने होते हैं।


उद्धव ठाकरे ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि यह एक विडंबना है कि सरकार पाकिस्तान को आतंकवाद का गढ़ मानती है, फिर भी उससे क्रिकेट खेलती है। उन्होंने लोगों से अपील की कि एशिया कप फाइनल का बहिष्कार करें और देशभक्ति का दावा करने वाली कंपनियों से आग्रह किया कि वे इस मैच के दौरान विज्ञापन न दें।


सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का विवाद

पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को शुक्रवार को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया। वे लद्दाख में राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे आंदोलनों का प्रमुख चेहरा बने हुए थे। हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत और लगभग 90 लोग घायल हुए थे, जिसके बाद उन्हें जोधपुर जेल भेजा गया।


परिवार और समर्थकों का आरोप

वांगचुक की पत्नी गीता अंजलि आंग्मो ने सुरक्षा बलों को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि वांगचुक ने हमेशा अहिंसक और गांधीवादी तरीके से आंदोलन किया, लेकिन 24 सितंबर को सीआरपीएफ की कार्रवाई के कारण हालात बिगड़ गए। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान से संबंध या फंडिंग के आरोप पूरी तरह से झूठे और निराधार हैं।


राजनीतिक सवाल और विपक्ष का दबाव

वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बना रहा है। कांग्रेस से लेकर क्षेत्रीय दलों तक सभी यह पूछ रहे हैं कि सरकार के लिए देशभक्ति की परिभाषा क्या है। क्या सेना के लिए नवाचार करने वाले वैज्ञानिक पर संदेह करना उचित है, और क्या पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना राष्ट्रीय गर्व का हिस्सा माना जा सकता है? इस बहस ने एशिया कप फाइनल से पहले एक नया राजनीतिक रंग दे दिया है।