वक्फ संपत्तियों का डिजिटलकरण: डेडलाइन के नजदीक, स्थिति चिंताजनक
नई दिल्ली में वक्फ संपत्तियों का डिजिटलकरण
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जून 2025 में 'UMMEED' पोर्टल की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य देशभर में लगभग 8.8 लाख वक्फ संपत्तियों को डिजिटल करना है। इसके तहत सभी संपत्तियों का रिकॉर्ड 5 दिसंबर 2025 तक ऑनलाइन अपलोड करना अनिवार्य किया गया था।
हालांकि, आज डेडलाइन का अंतिम दिन है और अब तक आधे से भी कम संपत्तियों का काम पूरा हुआ है। बड़े राज्यों में वक्फ संपत्तियों की स्थिति चिंताजनक है। अब यह सवाल उठता है कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?
उत्तर प्रदेश की स्थिति सबसे खराब
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक, लगभग 1.4 लाख वक्फ संपत्तियां हैं। लेकिन अभी तक केवल 35-36 प्रतिशत संपत्तियों का ही अपलोड किया गया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड की 1.26 लाख संपत्तियों में से लगभग 45 हजार ही अपलोड हो पाई हैं। वहीं, शिया वक्फ बोर्ड की 15 हजार संपत्तियों में से केवल 2900 के आसपास रजिस्टर हो पाईं हैं।
अधिकारी बताते हैं कि कई संपत्तियां 100-200 साल पुरानी हैं और उनके मूल दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। राजस्व रिकॉर्ड में ये संपत्तियां दिखती हैं, लेकिन पोर्टल पर दाखिल-खारिज या रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जो अधिकांश मामलों में नहीं हैं। बोर्ड के चेयरमैन भी मानते हैं कि निर्धारित समय में काम पूरा करना असंभव था।
मुख्य चुनौतियाँ
- गांवों में मुतवल्ली (देखभाल करने वाले) को कंप्यूटर चलाने का ज्ञान नहीं है।
- पोर्टल केवल अंग्रेजी में उपलब्ध है, जबकि बंगाली या उर्दू में नहीं।
- जमीन नापने की इकाइयां विभिन्न हैं; एक बीघा बंगाल में अलग और बिहार में अलग है।
कर्नाटक और तमिलनाडु की स्थिति
कर्नाटक में 65 हजार से अधिक संपत्तियों में से केवल 6 हजार के करीब अपलोड हुए हैं। यहां सबसे बड़ी समस्या सर्वर की है, जो बार-बार डाउन हो जाता है, जिससे एक संपत्ति डालने में 15 मिनट तक लग जाते हैं। तमिलनाडु में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। बोर्ड के चेयरमैन का कहना है कि मुतवल्लियों को कोई तकनीकी सहायता नहीं मिली और अधिकांश पुराने दस्तावेज अधूरे हैं।
पंजाब का प्रदर्शन
पंजाब ने लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। इसका कारण यह है कि वहां संपत्तियों के बजाय पूरी 'वक्फ एस्टेट' को एक साथ रजिस्टर किया जा रहा है। एक एस्टेट में कई संपत्तियां होती हैं, जिससे काम तेजी से हुआ है।
सरकार का सख्त रुख
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वक्फ संशोधन कानून में समय सीमा निर्धारित है, जिसे बदला नहीं जा सकता। अल्पसंख्यक मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, "कानून नहीं बदलूंगा तो तारीख कैसे बदलूं?" उनका कहना है कि यदि कोई समस्या है तो राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल में अर्जी दें, वही समय बढ़ा सकता है।