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वन महोत्सव 2025: प्रेरणादायक कविताएँ, स्लोगन और शायरी

वन महोत्सव 2025 का जश्न मनाने के लिए प्रस्तुत की गई कविताएँ, स्लोगन और शायरी न केवल हरियाली का संदेश देती हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी उजागर करती हैं। ये रचनाएँ बच्चों और बड़ों को प्रेरित करती हैं, जिससे वे पेड़ लगाने के लिए उत्साहित होते हैं। जानें कैसे ये शब्द हमें प्रकृति के प्रति जागरूक करते हैं और हमें एक हरा-भरा भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
 

वन महोत्सव 2025: हरियाली का उत्सव

वन महोत्सव 2025: प्रेरणादायक कविताएँ, स्लोगन और शायरी: वन महोत्सव 2025 का आगमन हो चुका है, और इसके साथ ही हरियाली का जश्न भी शुरू हो गया है! यह वह समय है जब हम केवल पेड़ नहीं लगाते, बल्कि उनके साथ अपने दिल का संबंध भी जोड़ते हैं। इस अवसर पर प्रस्तुत की गई कविताएँ, जोशीले स्लोगन और दिल को छूने वाली शायरी इस बार के वन महोत्सव को और भी खास बनाती हैं। चाहे आप बच्चों को स्कूल में प्रेरित करना चाहें या सोशल मीडिया पर हरियाली का संदेश फैलाना, ये रचनाएँ आपके लिए हैं। आइए, इस हरियाली के उत्सव में शामिल हों और जानें कि कैसे कविता, स्लोगन और शायरी पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को और मजबूत बनाते हैं।


वन महोत्सव शायरी

प्रकृति का उपहार है वृक्ष,
इनकी रक्षा करना है हमारा धर्म।
वन महोत्सव के इस शुभ अवसर पर,
करें वृक्षारोपण, यही है कर्म।


वृक्ष हमारे मित्र हैं,
जीवन के रक्षक हैं।
वन महोत्सव पर करें,
वृक्षारोपण का संकल्प।


पेड़ लगाओ, देश बचाओ,
जीवन को खुशहाल बनाओ।
वन महोत्सव के इस पावन अवसर पर,
पर्यावरण को स्वच्छ बनाओ।


हरियाली है धरती की शान,
वृक्षारोपण है जीवन का दान।
वन महोत्सव मनाएं हम,
धरती को हरा-भरा बनाएं हम।


वन महोत्सव के स्लोगन

“पेड़ पौधे कर रहे पुकार, देते हम वर्षा की बोछार।”


“आओ करे वृक्षों का संरक्षण, यही हमारे भविष्य का संरक्षण।”


“पेड़ो से वायु, वायु से आयु।”


“जहाँ धरती पर हरे भरे वृक्ष हैं, वहीं स्वर्ग हैं।”


“कहते हे सब वेद-पुराण, एक पेड़ दस पुत्र समान।”


“तड़पती धूप में जलते हैं पाँव, होते वृक्ष तो मिलती छाँव।”


“वृक्ष तो है जीवन का आधार, इनको मत काटो मेरे यार।”


“मत काटो इन वृक्षों को इन में होती हे जान, बिना वृक्षों के हो जायेंगा हम सब का जीवन सुनसान।”


“पेड़– पौधे मत करो नष्ट, हमें साँस लेने में होगा कष्ट।”


“पेड़ पोधो की करो रखवाली, तभी आयेंगी सुंदर हरयाली।”


“अगर हम पेड़ लगायेंगे, वे हमारे काम आयेंगे।”


हरियाली की पुकार

वन महोत्सव में कविताएँ केवल शब्द नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति प्रेम का इजहार हैं। एक कविता है, “पेड़ों की छांव में बस्ती है जिंदगी, हर पौधा लगाएं, ये है बंदगी।” ऐसी पंक्तियाँ बच्चों से लेकर बड़ों तक को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करती हैं। स्कूलों में बच्चे इन कविताओं को गुनगुनाते हैं, जो पर्यावरण के प्रति उनकी जागरूकता बढ़ाती हैं। हर कविता में प्रकृति का दर्द और उसकी खूबसूरती छिपी है। ये पंक्तियाँ हमें याद दिलाती हैं कि हर पौधा एक नई जिंदगी का प्रतीक है।


वन महोत्सव पर कविता

करके श्रंगार धरा का,उसे सुंदर बना दें हम
पौधों को रोपकर के, हरी चादर ओढ़ा दें हम।


तपती धूप में तरुवर की,उन ठंडी छाँव में बैठें हम
प्राणवायु कभी कम ना हो, नित-नित वृक्ष लगाएं हम।


तरुवर देते काष्ठ और फल, पशु- पक्षी का पोषण वन
इनसे नीर भरे मेघ हैं आते, भीगे वसुधा, हो सुंदर मन।।


सुरभित कुसुमित हो प्रकृति, नदियों को पावन बनाएं हम
निर्मल हो अंबर यहाँ, जो स्वयं सजग हो जाएं हम।


वृक्षों से भर धरा की गोद को, संकल्प करें आज ये हम
पल-पल प्रकृति बचाएं हम, वन महोत्सव मनाएं हम।।


– गीता सिंह


स्लोगन

स्लोगन वो छोटे-छोटे वाक्य हैं, जो बड़े बदलाव की नींव रखते हैं। “एक पेड़, दस छांव, हरियाली का करो स्वागत!” जैसे स्लोगन वन महोत्सव 2025 में जोश भर रहे हैं। ये नारे स्कूलों, कॉलेजों, और सोशल मीडिया पर धूम मचा रहे हैं। “पेड़ लगाओ, धरती बचाओ” जैसे स्लोगन सीधे दिल में उतरते हैं। इनका मकसद है लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना। वन महोत्सव के दौरान ये स्लोगन हर कोने में गूंजते हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश दूर-दूर तक फैलता है।


वृक्षारोपण पर दोहे

वृक्षारोपण हम करें, हो प्राणी कल्याण।
प्रकृति रूप में हम करें, ईश्वर का सम्मान।।


पर्यावरण खिला-खिला, खिले-खिले हैं लोग।
वृक्षों से औषध मिले, हमको करे निरोग।।


वृक्षारोपण यूं कहे, चिंतित हैं सब लोग।
इसीलिए तो कर रहे, भू पर तरु का योग।।


शुद्ध स्वच्छ वायु मिले, तरुवर सभी समर्थ।
हम भी कुछ ऐसा करें, जाने इनका अर्थ।।


प्राणी हित में हम करें, वृक्षारोपण आज।
संतति के हित में यही, प्यार भरा आगाज।।


हरियाली के खेल से, धरती खिले बसंत।
वृक्षारोपण कीजिए, खुशियां मिले अनंत।।


वृक्षारोपण हो गया, आवश्यक श्रीमान।
प्राण-पवन के अंत से, मिट जायेगी जान।।


वृक्षों के सिर काटकर, करते बड़ा अनर्थ।
डालें अपने प्राण ही, संकट में हम व्यर्थ।।


प्यार भरी जो छांव दे, औषध दे आशीष।
फिर भी हम ही काटते, उन वृक्षों के शीश।।


धन संचय की चाह में, काटे वृक्ष अनंत।
यही कुल्हाड़ी कर रही, अपना जीवन अंत।।


सुरेशपाल वर्मा जसाला


शायरी दिल से दिल तक

शायरी का अपना अलग जादू है, और वन महोत्सव में ये प्रकृति के प्रति प्यार को बयां करती है। “हर पेड़ की डाल पर चहकती है जिंदगी, इसे बचाने की अब तू कर बस्ती।” ऐसी शायरी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। ये पंक्तियाँ न सिर्फ भावनात्मक हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का अहसास भी कराती हैं। “पेड़ों की छांव तले सांस लेती है धरती, हर पौधा लगाना है हमारी अमर गाथी।” ऐसी शायरी वन महोत्सव को और रंगीन बनाती है।


बच्चों से बड़ों तक प्रेरणा का स्रोत

वन महोत्सव 2025 में कविताएं, स्लोगन, और शायरी बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का सबसे आसान तरीका हैं। स्कूलों में बच्चे इन रचनाओं को पोस्टर और नाटकों में इस्तेमाल करते हैं। “हर पौधा एक सपना, हरियाली का सवेरा” जैसे स्लोगन बच्चों को पेड़ लगाने के लिए उत्साहित करते हैं। बड़ों के लिए भी ये रचनाएं प्रेरणा का काम करती हैं। सोशल मीडिया पर #VanMahotsav2025 के साथ लोग इन्हें शेयर कर रहे हैं। ये रचनाएं हर उम्र के लोगों को जोड़ती हैं।


वन महोत्सव पर स्लोगन

जहां हरियाली वहा खुशहाली।


पेड़ पौधे मत करो नष्ट, साँस लेने में होगा कष्ट।


आओ बच्चो तुम्हे बताऊँ, बात मै एक ज्ञान की, पेड़ – पौधे ही करते हैं,रक्षा अपनी प्राण की।


बच्चा बच्चा उठेंगा, पेड़ लगाकर धरती को सजायेगा।


वृक्ष लगाओ, हरियाली लाओ।


वन महोत्सव पर एक और स्लोगन

अगर हम वृक्ष लगायेंगे, वे हमारे काम आयेंगे।


पेड़ वर्षा लाते है, गरमी से यह बचाते है।


वन महोत्सव के स्लोगन

पेड़ हैं जीवन का आधार, इसको मत काटो यार।


पेड़ लगाओ देश बचाओ, पेड़ लगाओ जीवन बचाओ, जीवन खुश हाल बनाओ।


एक घर, एक पेड़ संतुलन का यही हैं खेल।