विजय की रैली में भगदड़: 41 लोगों की मौत, पुलिस ने उठाए गंभीर सवाल
करूर में हुई भीषण भगदड़
करूर: अभिनेता से राजनेता बने विजय की एक रैली में रविवार शाम को हुई भीषण भगदड़ में 41 लोगों की जान चली गई। इस दुखद घटना के बाद पुलिस ने अपनी प्राथमिकी (एफआईआर) में कहा है कि यह त्रासदी विजय द्वारा किए गए 'जानबूझकर राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन' का परिणाम थी।
पुलिस की एफआईआर के अनुसार, रैली का आयोजन सुबह 9 बजे होना था, लेकिन भारी भीड़ 11 बजे तक इकट्ठा हो चुकी थी। विजय को दोपहर 12 बजे भाषण देना था, लेकिन वह निर्धारित समय से घंटों देरी से, शाम 7 बजे पहुंचे। पुलिस का कहना है कि इस देरी ने लोगों में 'अनावश्यक उम्मीदें' पैदा कीं और अव्यवस्था को जन्म दिया। प्राथमिकी में यह भी उल्लेख किया गया है कि विजय को ले जाने वाली बस कई अनियोजित स्थानों पर रुकी, जिससे यह एक अनियोजित रोड शो बन गया, जिसके लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी। TVK नेताओं पर भीड़ के लिए भोजन, पानी और अन्य सुविधाओं की कमी की चेतावनियों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया गया है।
पुलिस ने बताया कि प्रचार बस के बार-बार रुकने से यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। इसी दौरान, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए पुलिस बैरिकेड्स को TVK कार्यकर्ताओं ने तोड़ दिया। अभिनेता की एक झलक पाने के लिए कई लोग पास के एक शेड की टिन की छत पर चढ़ गए, जो दुर्भाग्यवश भीड़ का वजन सहन नहीं कर सकी और गिर गई, जिससे कई लोगों की जान चली गई।
दूसरी ओर, TVK के चुनाव अभियान प्रबंधन महासचिव आधव अर्जुन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय में घटना की सीबीआई जांच की मांग की है। अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस और सत्तारूढ़ दल ने मिलकर यह भगदड़ कराई थी।
अर्जुन ने कहा कि पार्टी को जानबूझकर उन स्थानों पर रैली की अनुमति नहीं दी गई, जहाँ वे चाहते थे, और उन तंग इलाकों में अनुमति दी गई जहाँ भीड़ को संभालना मुश्किल था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नमक्कल, त्रिची और नागपट्टिनम की तरह करूर में भी रैली के दौरान बार-बार बिजली काटी गई और सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मी तैनात नहीं किए गए थे।
याचिका में कहा गया है कि जैसे ही विजय ने अपना भाषण शुरू किया, बिजली काट दी गई, जिससे लोग बैकअप जनरेटर की ओर भागे और जाम की स्थिति बन गई। उन्होंने यह भी दावा किया कि रैली में घुसे कुछ असामाजिक तत्वों ने न केवल उनके नेता पर, बल्कि आम जनता पर भी चप्पलें और पत्थर फेंके, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। मामले की जांच अभी जारी है और दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोप से राज्य में राजनीतिक माहौल गरमा गया है।