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वित्त मंत्री ने पेश किया नया आयकर विधेयक, 2025: करदाताओं के लिए नई उम्मीदें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में नया आयकर विधेयक, 2025 पेश किया है, जो आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा। यह विधेयक कर प्रक्रियाओं को सरल बनाने और पारदर्शिता लाने का प्रयास करेगा। इसमें 285 सिफारिशें शामिल हैं, जैसे गुमनाम दान पर सीमा और बिना पेनल्टी टीडीएस रिफंड। वित्त मंत्री ने इसे एक आधुनिक और करदाता-अनुकूल प्रणाली बनाने का आश्वासन दिया है। जानें इस विधेयक के प्रमुख प्रावधान और इसके पीछे की सोच।
 

आयकर विधेयक का महत्व

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में नया आयकर विधेयक, 2025 पेश किया है। यह विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा, जो भारतीय कर प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह कदम कर प्रक्रियाओं को सरल बनाने और पुरानी चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस विधेयक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली 31-सदस्यीय चयन समिति द्वारा किए गए संशोधनों को शामिल किया जाएगा।


पुराने कानून का 'अंत', नई शुरुआत: नए विधेयक की आवश्यकता क्यों थी? मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 में 4000 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं, जिससे यह जटिल और समझने में कठिन हो गया है। नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना और पारदर्शिता लाना है। यह उम्मीद की जा रही है कि नए विधेयक की स्पष्ट कानूनी भाषा आम जनता के लिए कर नियमों को समझना आसान बनाएगी।


टैक्सपेयर्स के लिए विशेष प्रावधान: दान, रिफंड और अधिकारियों के अधिकार नए ड्राफ्ट में 285 सिफारिशें शामिल की गई हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं: गुमनाम दान पर सीमा: केवल धार्मिक ट्रस्टों को गुमनाम दान स्वीकार करने की अनुमति होगी, जबकि सामाजिक सेवाएं चलाने वाले ट्रस्ट इस श्रेणी से बाहर रहेंगे। यह दान की पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।


टीडीएस रिफंड बिना पेनल्टी: करदाताओं को अब आईटीआर (ITR) फाइलिंग की समय सीमा के बाद भी बिना किसी जुर्माने के टीडीएस (TDS) रिफंड का दावा करने की अनुमति होगी। यह उन करदाताओं के लिए राहत प्रदान करेगा जो समय पर अपना रिटर्न फाइल नहीं कर पाते।


कर अधिकारियों के लिए नई प्रक्रिया: विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि कर अधिकारियों को कोई भी नोटिस जारी करने से पहले करदाता के जवाबों पर विचार करना होगा। यह करदाताओं के अधिकारों की रक्षा करेगा और मनमानी कार्रवाई को रोकेगा।


डिजिटल इंडिया का असर: फेसलेस असेसमेंट और सरलीकृत अनुपालन नए विधेयक का एक महत्वपूर्ण पहलू डिजिटल-फर्स्ट, फेसलेस असेसमेंट फ्रेमवर्क का आधुनिकीकरण है। इसका उद्देश्य अनुपालन को आसान बनाना और भ्रष्टाचार के जोखिमों को कम करना है। फेसलेस मूल्यांकन प्रणाली के तहत, करदाताओं को बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के अपनी कर संबंधी प्रक्रियाओं को पूरा करने की सुविधा मिलेगी।


वित्त मंत्री का भरोसा: 'सरल, स्पष्ट और आधुनिक' कर प्रणाली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को पेश करते हुए विश्वास जताया कि यह भारतीय कर प्रणाली को आधुनिक, सरल और अधिक करदाता-अनुकूल बनाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य एक ऐसी प्रणाली बनाना है जो व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा दे और कर अनुपालन को सुगम बनाए।