विदेश मंत्री एस. जयशंकर का अनोखा दृष्टिकोण: राजनयिकों की भूमिका भगवान हनुमान जैसी
पुणे पुस्तक महोत्सव में एस. जयशंकर की टिप्पणी
पुणे: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को पुणे पुस्तक महोत्सव में एक दिलचस्प विचार साझा किया। उन्होंने कहा कि राजनयिकों और मंत्रियों की भूमिका भगवान हनुमान के समान है, जिनका मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सेवा करना है। जब उनसे पूछा गया कि क्या देश के लिए केवल एक 'जयशंकर' ही पर्याप्त है, तो उन्होंने इसे गलत सवाल बताया।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि सही सवाल यह होना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ही हैं। उन्होंने भगवान राम और हनुमान का उदाहरण देते हुए कहा कि राजनयिकों और मंत्रियों का कार्य हमेशा सेवा करना होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी देश की पहचान उसके नेतृत्व और दृष्टिकोण से बनती है। भले ही कुछ लोग नीतियों को लागू करते हैं, असली बदलाव नेतृत्व की सोच और आत्मविश्वास से आता है।
भारतीय संस्कृति और रणनीतिक सोच
भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान का उदाहरण
विदेश मंत्री ने भगवान कृष्ण और हनुमान का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय शब्दों और अवधारणाओं को रणनीतिक सोच में अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "ज़्यादातर पाठ्यपुस्तकें पश्चिमी लेखकों द्वारा लिखी गई हैं, जो यह बताती हैं कि भारत में रणनीति और शासन की कोई परंपरा नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम अपनी संस्कृति और मान्यताओं के साथ बड़े हुए हैं, लेकिन हम अपने शब्दों का उपयोग नहीं करते हैं, और दुनिया भी हमारे शब्दों को नहीं जानती।" यह भावना उनके मन में लंबे समय से थी और वे इसे दुनिया के सामने लाना चाहते थे।
रामायण में रणनीति का महत्व
रामायण में भी रणनीति मौजूद
जयशंकर ने यह भी कहा कि लोग आमतौर पर महाभारत को सत्ता और संघर्ष से जोड़ते हैं, लेकिन रामायण की गहराई पर ध्यान नहीं देते। उन्होंने बताया कि रामायण में भी रणनीति और स्पष्ट कार्ययोजना का समावेश है। जब उनसे पूछा गया कि उनके अनुसार सबसे महान राजनयिक कौन हैं, तो उन्होंने भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान का नाम लिया।
उन्होंने कहा कि एक महाभारत कथा के महान राजनयिक हैं, जबकि दूसरे रामायण कथा के महान राजनयिक हैं।