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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने UNGA-80 में जी4 बैठक में भाग लिया

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में जी4 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। इस बैठक में उन्होंने सुरक्षा परिषद के विस्तार और संयुक्त राष्ट्र में सुधार के मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने अन्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं भी कीं, जिसमें मलेशिया और यूके के मंत्रियों के साथ महत्वपूर्ण चर्चाएं शामिल थीं। उन्होंने वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करने में जी20 की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
 

जी4 विदेश मंत्रियों की बैठक में भागीदारी

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA-80) के अवसर पर जी4 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। इस बैठक में जापान, जर्मनी और ब्राजील के विदेश मंत्रियों ने भी भाग लिया, जहां उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सुधार के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की। जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि उन्होंने सुरक्षा परिषद के विस्तार पर चर्चा की और चल रही अंतर-सरकारी वार्ता (IGN) प्रक्रिया का मूल्यांकन किया। उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क में अपने सहयोगियों ताकेशी इवाया, जोहान वाडेफुल और मौरो विएरा के साथ जी4 विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होकर खुशी महसूस की।


जी4 ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अन्य सुधारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इसने अंतर-सरकारी वार्ता की वर्तमान स्थिति का भी आकलन किया। पहले दिन, जयशंकर ने यूएनजीए80 और दक्षिण अफ्रीका द्वारा आयोजित जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में कई द्विपक्षीय चर्चाओं में भाग लिया। उन्होंने मलेशियाई विदेश मंत्री मोहम्मद हाजी हसन और यूके की विदेश सचिव यवेटे कूपर से भी मुलाकात की। उन्होंने पोस्ट किया कि यूएनजीए80 में मलेशिया के विदेश मंत्री के साथ अभिवादन का आदान-प्रदान किया और यवेटे कूपर के साथ उनकी नई जिम्मेदारियों पर चर्चा की।



जयशंकर ने मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती के साथ भी गर्मजोशी से बातचीत की और ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री सीनेटर वोंग के साथ भी चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका द्वारा आयोजित जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भी भाग लिया, जहां उन्होंने वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करने में जी20 की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्थिरता को मजबूत करना और इसे सकारात्मक दिशा में ले जाना आवश्यक है, जो बातचीत, कूटनीति, आतंकवाद का मुकाबला और ऊर्जा व आर्थिक सुरक्षा को समझने के माध्यम से किया जा सकता है।