विदेश मंत्री जयशंकर ने कांग्रेस पर चीन नीति को लेकर किया तीखा हमला
जयशंकर का कांग्रेस पर हमला
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में कांग्रेस पार्टी पर चीन के मुद्दे को लेकर तीखा हमला किया। उन्होंने कांग्रेस के ऐतिहासिक दृष्टिकोण पर सवाल उठाते हुए मोदी सरकार की चीन नीति की आलोचना को पूरी तरह से खारिज कर दिया। जयशंकर ने कहा कि जो पार्टी आज चीन और पाकिस्तान के संबंधों पर सरकार को चेतावनी दे रही है, वही अतीत में चीन के साथ गुप्त समझौतों की बातें करती रही है।
कांग्रेस की नसीहतों पर पलटवार
जयशंकर ने कांग्रेस की चीन के प्रति दी जा रही सलाहों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "आज कांग्रेस हमें चीन और पाकिस्तान के खतरों के बारे में चेतावनी दे रही है, लेकिन यही पार्टी थी जिसने 2005 में चीन को 'रणनीतिक साझेदार' घोषित किया था।" उन्होंने 'चिंडिया' नामक अवधारणा का भी उल्लेख किया, जो भारत और चीन के साझा हितों पर आधारित थी, और कांग्रेस प्रवक्ता द्वारा प्रचारित की जा रही थी। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस वास्तव में चीन को खतरा मानती है या यह केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।
चीन द्वारा स्टेपल वीजा जारी करने पर चिंता
"ओलंपिक के दौरान जारी हो रहे थे स्टेपल वीजा"
जयशंकर ने यह भी चिंता व्यक्त की कि चीन अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के निवासियों को स्टेपल वीजा जारी कर रहा था, जबकि कुछ लोग ओलंपिक देखने में व्यस्त थे। उन्होंने कहा, "जब चीन हमारे संवेदनशील क्षेत्रों को भारत का हिस्सा मानने से इनकार कर रहा था, तब कुछ लोग चीन के साथ गुप्त समझौतों में लगे हुए थे। यह चीन की वास्तविकता है जिसे देश को जानना चाहिए।"
भारत की स्थिति को स्पष्ट किया
"हमने चीन को दो टूक जवाब दिया"
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि जब वह चीन गए थे, तो उनका उद्देश्य ओलंपिक या मेलजोल नहीं था, बल्कि भारत की स्थिति को मजबूती से प्रस्तुत करना था। उन्होंने कहा, "मैंने चीन में स्पष्ट रूप से कहा कि भारत आतंकवाद, व्यापारिक प्रतिबंधों और सीमा विवाद पर कोई नरमी नहीं बरतेगा। हमने न तो गुप्त समझौते किए, न ही चीन से 2G-3G जैसी तकनीक आयात की, बल्कि देश में ही 5G विकसित किया।" उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने जब सत्ता में रहते हुए चीनी तकनीक को अनुमति दी, तब देश की सुरक्षा पर बड़ा खतरा उत्पन्न हुआ।