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वृंदावन संत समाज में जगद्गुरु रामभद्राचार्य की टिप्पणी पर विवाद

जगद्गुरु रामभद्राचार्य की संत प्रेमानंद महाराज पर की गई विवादास्पद टिप्पणी ने वृंदावन के संत समाज में हलचल मचा दी है। संत समुदाय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें दिनेश फलाहारी महाराज ने रामभद्राचार्य जी से पद्मश्री उपाधि वापस करने की मांग की है। संतों का कहना है कि इस प्रकार की टिप्पणियों से समाज में विभाजन उत्पन्न होता है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और संत समाज की प्रतिक्रिया।
 

विवाद का कारण

मथुरा: जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा संत प्रेमानंद महाराज पर की गई विवादास्पद टिप्पणी ने वृंदावन के संत समाज में हलचल मचा दी है। संत समुदाय ने आरोप लगाया है कि रामभद्राचार्य जी ने प्रेमानंद महाराज के प्रति अनुचित शब्दों का प्रयोग किया है। इस मुद्दे पर ब्रजभूमि के संतों में गहरा असंतोष है और वे लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर मस्जिद मामले के प्रमुख याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी महाराज ने सुझाव दिया है कि रामभद्राचार्य जी को अपनी पद्मश्री उपाधि वापस कर देनी चाहिए।


संत समाज की प्रतिक्रिया

संत समाज ने कहा है कि रामभद्राचार्य जी को अपनी स्थिति पर विचार करना चाहिए। उनका ज्ञान का अहंकार संतों के बीच एकता को तोड़ रहा है। संत रास बिहारी दास महाराज ने कहा कि रामभद्राचार्य जी के शब्दों ने प्रेमानंद महाराज को अपमानित किया है, जो कि अत्यंत अनुचित है। संत समाज इस प्रकार की टिप्पणियों की कड़ी निंदा करता है।


प्रेमानंद महाराज का योगदान

संत मोहित जी महाराज ने कहा कि प्रेमानंद महाराज हमेशा सत्य और भक्ति का प्रचार करते हैं और कभी किसी संत की बुराई नहीं करते। वे युवाओं को सनातन धर्म से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। उनकी वाणी से हमेशा धर्म और भक्ति की प्रेरणा मिलती है।


भक्तों की भावनाओं का सम्मान

भक्तों की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए

संत समाज का मानना है कि संतों को मिलकर समाज को एकजुट करने का प्रयास करना चाहिए। लेकिन रामभद्राचार्य जी के बयान ने संतों के बीच विभाजन पैदा कर दिया है। ब्रजभूमि के संत इस बयान को लेकर गहरी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। सभी संत एक स्वर में कह रहे हैं कि रामभद्राचार्य जी को माफी मांगनी चाहिए, अन्यथा समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा।