शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या: जानें किन राशियों पर रहेगा प्रभाव
परेशानियों से बचने के उपाय
शनि की साढ़ेसाती एक 7.5 साल की अवधि होती है, जो तब शुरू होती है जब शनि आपकी जन्म राशि से पहले, उसके भीतर और बाद की राशि में गोचर करते हैं। इसके विपरीत, शनि की ढैय्या 2.5 साल की अवधि होती है, जो तब शुरू होती है जब शनि आपकी जन्म राशि के चौथे या आठवें भाव में प्रवेश करते हैं। शनि को न्याय का देवता माना जाता है और ये दोनों स्थितियां जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं, जिसमें मानसिक और शारीरिक समस्याएं शामिल हैं।
शनि का मकर और कुंभ राशि पर अधिकार है, जबकि तुला राशि को शनि की उच्च राशि और मेष राशि को नीच राशि माना जाता है। वर्तमान में, शनि गुरु की राशि मीन में गोचर कर रहे हैं और यह स्थिति 2027 तक बनी रहेगी। इस दौरान जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव है, उन पर इसका असर देखने को मिलेगा।
इन राशियों पर रहेगा प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, इस वर्ष शनि के राशि परिवर्तन से मेष राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण, मीन राशि पर दूसरा चरण और कुंभ राशि पर तीसरा चरण चल रहा है। शनि की साढ़ेसाती 7.5 वर्षों तक चलती है, जिसमें प्रत्येक चरण 2.5 साल का होता है। ऐसे में इन राशियों के जातकों को आने वाले समय में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इन परेशानियों का करना पड़ सकता है सामना
शनि के मीन राशि में गोचर करने से धनु और सिंह राशि वालों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा। यह प्रभाव 2027 तक जारी रहेगा, जिससे इन राशियों के जातकों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, मानसिक तनाव और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
अशुभ प्रभावों को दूर करने के उपाय
- शनिवार को भगवान शनि की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें। इस दिन चालीसा का पाठ भी करें।
- हर शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करें और तेल का दीपक जलाएं।
- शनिवार को गरीबों को कंपल, सरसों का तेल और उड़द दाल का दान करें।
- शनिवार को शनिदेव से संबंधित मंत्रों का जाप करें। इससे शनिदोषों से मुक्ति मिलेगी।