शराब का सेवन: मुंह के कैंसर का बढ़ता खतरा
शराब और स्वास्थ्य: एक गंभीर चेतावनी
शराब को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है, यह तो सभी जानते हैं। फिर भी, कई लोग मानते हैं कि थोड़ी मात्रा में शराब पीने से कोई नुकसान नहीं होगा। यदि आप भी ऐसा सोचते हैं, तो सावधान रहें! एक नई रिसर्च ने इस मिथक को पूरी तरह से नकार दिया है। अध्ययन में यह पाया गया है कि भारतीय पुरुषों के लिए शराब की कोई भी मात्रा सुरक्षित नहीं है। चाहे वह महंगी व्हिस्की हो या देसी दारू, रोजाना केवल 9 ग्राम शराब (लगभग एक स्टैंडर्ड ड्रिंक) का सेवन भी गाल के अंदरूनी हिस्से के कैंसर (Buccal Mucosa Cancer) के जोखिम को 50% तक बढ़ा देता है।
मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण
इस अध्ययन में 2010 से 2021 के बीच भारत के छह विभिन्न कैंसर केंद्रों से डेटा एकत्र किया गया। इसमें 1,803 पुरुष शामिल थे, जिन्हें बकल म्यूकोसा कैंसर था, और उनकी तुलना 1,903 स्वस्थ पुरुषों से की गई। शोधकर्ताओं ने बीयर, व्हिस्की, देसी दारू, ठर्रा और महुआ जैसी स्थानीय शराबों के प्रभावों का भी अध्ययन किया। महिलाओं में शराब का सेवन कम पाया गया, इसलिए अध्ययन में केवल पुरुषों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
कम मात्रा में पीना भी नहीं है सुरक्षित
तंबाकू और अन्य कारकों को अलग रखते हुए, यह पाया गया कि शराब पीने वाले पुरुषों में कैंसर का खतरा ना पीने वालों की तुलना में 68% अधिक था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जो लोग दिन में 9 ग्राम से भी कम शराब पीते थे, उनमें भी कैंसर का खतरा काफी अधिक पाया गया।
देसी शराब का खतरा
अध्ययन में यह भी पाया गया कि स्थानीय रूप से बनाई गई शराब (जैसे देसी दारू और ठर्रा) पीने वालों को सबसे अधिक खतरा है। इन लोगों में मुंह के कैंसर का जोखिम शराब न पीने वालों की तुलना में लगभग दोगुना था। हालांकि, बीयर और व्हिस्की का सेवन करने वालों में भी जोखिम बना रहा, चाहे वे कितनी ही कम मात्रा में क्यों न पीते हों।
शराब और तंबाकू का खतरनाक संयोजन
अध्ययन में शराब और तंबाकू के बीच एक गहरा संबंध पाया गया। जो पुरुष दोनों का सेवन करते हैं, उन्हें केवल एक का सेवन करने वालों की तुलना में अधिक खतरा होता है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि बकल म्यूकोसा कैंसर के 60% से अधिक मामले शराब और चबाने वाले तंबाकू के संयोजन के कारण होते हैं। वहीं, भारत में इस कैंसर के लगभग 11.3% मामले केवल शराब के सेवन के कारण होते हैं।